जानिए 'CDS बिपिन रावत' की शौर्य गाथा के ये अनसुन्ने किस्से
जानिए 'CDS बिपिन रावत' की शौर्य गाथा के ये अनसुन्ने किस्से
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"देश की सुरक्षा के लिए हम अकेले कुछ नहीं करते, हमारा हर एक सैनिक इसमें हिस्सेदार होता है। इतना ही नहीं भारत का प्रत्येक नागरिक देश के लिए कुछ ना कुछ तो अवश्य करता है।" हिंद की सेना को सशक्त बनाने की प्रत्येक संभव कोशिश करने वाले CDS बिपिन रावत ने ये बात न केवल किसी एक जवान बल्कि देश के प्रत्येक उस नागरिक के लिए कही थी, जिसको भारत का ‘तिरंगा’ देख कर अपने मन में गर्व की अनूभूति होती हो। बिपिन रावत, भारतीय सेना का वो नाम जिन्होंने हिंद की सेना को इस कड़ी में जोड़ा कि भारत का प्रत्येक शत्रु, भारत का नाम सुनते ही थरथरा जाए। अपने पराक्रम के लिए विश्वविख्यात भारतीय सेना की ताकत बने CDS बिपिन रावत के निधन से पुरे देश में मातम पसर गया है। दरअसल, कल दोपहर तकरीबन 1 बजे बिपिन रावत, अपनी पत्नी एवं अन्य कई अधिकारीयों एक समारोह में सम्मिलित होने जा थे, तभी उनका हेलिकॉप्टर क्रेश होने की खबर आई, जिससे हर देशवासी के मन में चिंता को लौ जल गई। शौर्य का उदहारण रहे CDS बिपिन रावत ने अपने पूरी जिंदगी को देश की सुरक्षा के नाम कर दिया ।

बिपिन रावत का बचपन:-
बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958  को देहरादून में हुआ। बिपिन रावत के पिताजी एल एस रावत भी फ़ौज में थे तथा उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत के नाम से जाना जाता था। इनका बचपन सैनिकों के बीच ही गुजरा तथा इनकी आरभिंक पढाई सेंट एडवर्ड स्कुल शिमला में हुई। उसके पश्चात् उन्होंने इंडियन मिलट्री एकेडमी में दाखिला लिया तथा देहरादून चले आये। यहाँ उनकी परफोर्मेंस को देखते हुए उन्हें प्रथम सम्मान पत्र मिला जो SWORD OF HONOUR से सम्मानित किया गया था। तत्पश्चात, उन्होंने अमेरिका में पढाई करने का मन बनाया तथा वो अमेरिका चले गये यहाँ उन्होंने सर्विस स्टाफ कॉलेज में ग्रेजुएट किया। साथ में उन्होंने हाई कमांड कोर्स भी किया।

भारतीय आर्मी में सम्मिलित बिपिन रावत:-
बिपिन रावत अमेरिका से लौट आये तथा उसके पश्चात् उन्होंने आर्मी में सम्मिलित होने का मन बनाया। उन्हें अपनी कोशिशों में कामयाबी 16 दिसंबर 1978 में मिली। उन्हें गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में सम्मिलित किया गया। यहीं से उनका सैन्य सफर आरम्भ हुआ। यहाँ बिपिन रावत जी को सेना के अनेक नियमों को सिखने का अवसर प्राप्त हुआ तथा उन्हें कैसे एक टीम वर्क करना चाहिए यह भी उनके समझ में आया। बिपिन रावत ने बताया था एक इंटरव्यू में की उनके जीवन में उन्होंने गोरखा में रहते हुए जो सिखा वो कहीं और सिखने को नहीं मिला है। यहाँ उन्होंने आर्मी नीतियों को समझा एवं नीतियों के निर्माण में कार्य किया। गोरखा में रहते हुए उन्होंने आर्मी की अनेक जैसे Crops, GOC-C, SOUTHERN COMMAND, IMA DEHRADUN, MILLTERY OPREATIONS DIRECTORET में LOGISTICS STAFF OFFICER के पद पर भी काम किया।

मिले है कई पुरस्कार:-
बिपिन रावत जी को सेना में रहते हुए सेना में अनेक प्रकार के अवार्ड भी मिले हैं। उन्हें युद्ध नीति को सीखते हुए अपने कौशल का सही उपयोग करते हुए आर्मी में कर मैडल मिले है। उन सभी मैडल का विवरण हम निचे परिचय बिंदु में देने जा रहे हैं। इनके 37 वर्ष के आर्मी करियर में इन्हें अनेक पुरस्कार मिले है तथा उन सभी की लिस्ट बनाना संभव नहीं है।

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