नई दिल्ली : ह्यूंदै कंपनी के सिर मुसीबतो के बादल मंडरा रहे है. कारोबार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने वाली रेगुलेटरी बॉडी कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कल ह्यूंदै मोटर्स पर 420.26 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया. इसके अतिरिक्त, रेवा और प्रीमियर कंपनी को आगाह किया कि वे कॉम्पिटिशन विरोधी गतिविधियों पर नियंत्रण रखे. इन कंपनियों पर आरोप है कि वे कार के स्पेअर पार्ट्स ओपन मार्केट में उपलब्ध नहीं करवा रहे है. यह भी पाया गया कि कार कंपनियां इस तरह के क्रियाकलापों में समिल्लित है, जिसके चलते कार रिपेयरिंग से जुड़ी स्वतंत्र कंपनियां बाजार में प्रवेश नहीं कर पा रही है.
इसके अतिरिक्त, ये कंपनियां बाजार में अपनी मजबूत स्थिति का प्रयोग करके रिपेयर सर्विस में भी अपने हितो का संरक्षण कर रही है. सीसीआई के अनुसार, प्रीमियर और रेवा (महिंद्रा एंड महिंद्रा की सहयोगी कंपनी) के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे, इसलिए उन पर किसी प्रकार का कोई जुर्माना नहीं लगाया गया.
दूसरी कंपनियां भी जांच के घेरे में
इससे पहले, इसी प्रकरण में गत वर्ष अगस्त में जिन दूसरी कंपनियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें होंडा SIEL, फिएट, फॉक्सवॉगन, बीएमडब्ल्यू, फोर्ड, जनरल मोटर्स, हिंदुस्तान मोटर्स, मारुति सुजुकी, मर्सडीज बेंज, निसान मोटर्स, टाटा मोटर्स TOYOTA किर्लोसकर मोटर्स और M & M आदि कंपनियां समिल्लित हैं. कुल 17 कार कंपनियों के खिलाफ लम्बे समय से जांच चल रही है. जिसके चलते सीसीआई ने ताजा निर्णय दिया है.
ह्यूंदै ने की थी नरमी बरतने की मांग
ह्यूंदे ने सीसीआई को बताया था कि उसका मामला दूसरी कंपनियों से भिन्न है, इसलिए जुर्माना लगाए जाने में कम सख्ती बरती जाए. हालांकि, रेगुलेटरी बॉडी ने कहा कि ह्यूंदै द्वारा बताई गयी वजह बेहद सामान्य है, इसके चलते जुर्माना कम करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता. सीसीआई ने कंपनी के बीते तीन वर्षो के सालाना टर्नओवर के एवरेज का दो प्रतिशत जुर्माना लगाया है जो 420.26 करोड़ रुपए की बड़ी रकम है.