नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय शराब घोटाला मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में केजरीवाल का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, एन हरिहरन, एवं विक्रम चौधरी कर रहे हैं, जबकि CBI की तरफ से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डीपी सिंह उपस्थित हैं।
सुनवाई के चलते, सिंघवी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट आज अपना फैसला सुरक्षित रखेगी। उन्होंने दलील दी कि CBI के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। सिंघवी ने बताया, CBI ने उन्हें गिरफ्तारी का सामना इसलिए कराया क्योंकि उन्हें लगा कि केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालयमामले में जेल से बाहर आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि CBI ने 14 अप्रैल 2023 को केजरीवाल को गवाह के रूप में समन भेजा था तथा इसके पश्चात् उनसे 16 अप्रैल को नौ घंटे पूछताछ की गई। फिर CBI ने उन्हें एक वर्ष तक नहीं बुलाया तथा अचानक प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के बाद CBI ने कार्रवाई की।
सिंघवी ने इसे "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" मामला बताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें प्रवर्तन निदेशालय मामले में अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन CBI की गिरफ्तारी का कोई ठोस आधार नहीं है। सिंघवी ने यह भी बताया कि निचली कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय मामले में केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी, मगर CBI ने उन्हें 26 जून को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने तर्क किया कि यह गिरफ्तारी केवल एक आधार पर की गई, जबकि कानून के तहत उनकी गिरफ्तारी का आधार उचित नहीं था। उन्होंने कहा कि केजरीवाल एक सीएम हैं, न कि आतंकवादी, और इस तरह उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस मामले में Article 21 और 22 के प्रावधानों की अनदेखी की गई है।
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