नई दिल्ली: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को कार्यभार संभाले हुए 36 घंटे भी नहीं हुए थे, कि सेलेक्शन कमेटी ने उन्हें निदेशक पद से वापिस हटा दिया. मंगलवार को शीर्ष अदालत के फैसले के बाद ही इस बार के कयास लगाए जा रहे थे कि आलोक वर्मा की छुट्टी होने वाली है. किन्तु बताया जा रहा है कि 36 घंटे के अंदर सेलेक्शन कमेटी के माध्यम से हटाए जाने के लिए आलोक वर्मा खुद ही जिम्मेदार हैं. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने 77 दिन के अंतराल के बाद बुधवार को अपना कार्यभार संभाला था.
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उल्लेखनीय है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर 2018 को देर रात आदेश जारी करते हुए वर्मा के अधिकार वापस लेकर उन्हें जबरन अवकाश पर भेज दिया था. इस कदम की व्यापक स्तर पर कड़ी आलोचना की गई थी. जिसके बाद अब पिछले 36 घंटे के घटनाक्रम के बाद सीबीआई के अंदर काफी हलचल मच गई है. सुप्रीम कोर्ट का फैसले आने के बाद आलोक वर्मा के नजदीकी अधिकारियों ने सीबीआई के मुख्य कार्यालय आना शुरू कर दिया था.
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इसके बाद आईबी ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी कि आलोक वर्मा बदले की भावना से काम करना आरम्भ कर दिया है. मंगलवार को जानबूझ कर सीबीआई दफ्तर नहीं जाना अलोक वर्मा का ही कदम था. मंगलवार शाम को राकेश अस्थाना मामले की जांच करने वाले अधिकारी को अंडमान से दिल्ली बुला लिया गया. अगले दिन ही वर्मा ने चार्ज हाथ में लेते ही बस्सी को दोबारा से सीबीआई में वापसी करा लिया.
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