अत्याधुनिक जीवनशैली ने सहूलियतें जरूर दी हैं, मगर इसने कई बुरी आदतों की सौगात भी हमें दी है. रात को देर से सोना और नींद भगाने के लिए मीठे पेय पदार्थों का सेवन बढ़ा है. कंप्यूटर पर भी काम करते वक्त टेबल पर चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक के गिलास हमने रखने शुरू कर दिए हैं. ये तमाम मीठे पेय पदार्थ एसिडिक ड्रिंक हैं. यानी ये एसिड (अम्ल) पैदा करते हैं, जो दांतों के लिए नुकसानदेह है.
आज किसी भी ऑफिस में वातानुकूलन की वजह से सदैव एक नियत तापमान बना रहता है. इस वजह से हम पहले की तुलना में पानी कम पीने लगे हैं. पानी कम पीने की वजह से थूक या लार अपेक्षाकृत कम बनता है. चूंकि ये भी प्राकृतिक एंटीबायोटिक हैं, इसलिए इसकी कमी हमें कई रोगों का शिकार बनाती है.
सड़न की एक बड़ी वजह नशे का सेवन भी है. पान, गुटका, सिगरेट, अल्कोहल की तरफ युवाओं का रुझान बढ़ा है. वे पौष्टिक भोजन से बचने लगे हैं और उनका रुझान पिज्जा, बर्गर, नूडल्स जैसे रिफाइंड कार्बोहाइड्रेड पदार्थों की तरफ बढ़ा है. ये खाद्य वस्तुएं दांतों से चिपक जाती हैं, जो सड़न की वजह बनती हैं. रही सही कसर व्यायाम से दूर रहने की मानसिकता ने पूरी कर दी है. दांत चिकित्सकों का मत है कि इन तमाम आदतों से उम्र से पहले दांतों के गिरने की समस्या बढ़ी है.