पटना: राजद नेता तेजस्वी यादव ने बीते शनिवार को देश के गैर भाजपा नेताओं को पत्र लिखा है और पिछड़े वर्गों के लिए जातिगत जनगणना के मुद्दे पर समर्थन मांगा है। आप सभी को बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि, पि'छड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना 'प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है।'
वहीं अगर हम बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बारे में बात करें तो उन्होंने अलग-अलग दलों के नेता नीतीश कुमार, सोनिया गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को इस संबंध में पत्र लिखा है। बताया जा रहा है यह पत्र 33 नेताओं को संबोधित है। जी दरअसल तेजस्वी यादव ने इस पत्र में कहा है कि, 'एक संवेदनहीन सरकार के लिए फिर दोहराया जा रहा है कि जाति व्यवस्था, जिसे 'डॉक्टर बी आर आंबेडकर श्रेणीबद्ध असमानता की प्रणाली बताते थे' आबादी एक बड़े हिस्से के लिए नुकसान का बड़ा स्रोत रही है।' आप सभी को बता दें कि केंद्र सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की गिनती के लिए सहमति व्यक्त की है, यह संख्यात्मक तौर पर ताकतवर ओबीसी के लिए चिंता की बात है। हिंदी पट्टी में राजनीति पर इस वर्ग का दबदबा रहा है, खासकर 1990 के बाद बिहार में। वहीं तेजस्वी यादव का कहना है कि, 'हमें साथ आने की जरूरत है और जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव डालने की जरूरत है।'
अपने पत्र में उन्होंने कहा, 'मैं आपके सुझाव और सलाह पर विचार करने के लिए तैयार हूं ताकि हम बिना विलंब के इस पर तत्काल कार्ययोजना तैयार कर सकें।' खबरों के अनुसार गैर भाजपा दलों के मुख्यमंत्रियों उद्धव ठाकरे, एम के स्टालिन, नवीन पटनायक, के चंद्रशेखर राव और जगमोहन रेड्डी तथा राजग से नहीं जुड़े राजनीतिक पार्टियों के नेताओं अखिलेश यादव, मायावती, फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, प्रकाश सिंह बादल और सीताराम येचुरी का नाम भी पत्र की एक प्रति के साथ जोड़ा गया है।
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