भारत में जैसे-जैसे कोविड 19 के रोगियों की संख्या बढ़ रही है, वैसे अव्यवस्थाओं से जुड़े मामले भी सामने आ रहे हैं. इस महामारी से मरने वालों की लाशों के साथ जिस तरह के सलूक की न्यूज हैं वो बहुत दुखी करने वाली हैं. ताजा केस तेलंगाना से जुड़ा हुआ है. यहां के निजामाबाद सरकारी चिकित्सालय में कोरोना के कारण से जान गंवाने वाले एक शख्स के शव को इस प्रकार से रिक्शा के माध्यम से अंतिम संस्कार के लिए भेजा गया है. लेकिन इस मामले में चिकित्सालय के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर एन राव ने मीडिया को बताया कि मृत व्यक्ति के परिजनों ने शव को मांगा था, किन्तु उन लोगों ने एबुलेंस का प्रतीक्षा नहीं किया और इस तरह से रिक्शा से लेकर चले गए. बता दें कि कोविड 19 के रोगियों के शव के साथ इस प्रकार का अमानवीय व्यवहार कोई पहला केस नहीं है. भारत के कई भागों से इस तरह की न्यूज सामने आ रही हैं.
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कर्नाटक के बेल्लारी में कोविड 19 के कारण से अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे लोगों को प्लास्टिक में लपेट कर गड्ढे में फेंके देने वाला मामला सामने आया था. जिसने सबको हिलाकर रख दिया था. बताया जा रहा है कि करीब 8 लाशों को दो गड्ढे में डाला गया है. बेल्लारी के डिप्टी कमिश्नर एस एस नकुल ने बताया कि लाशों के अंतिम क्रिया के मामले में प्रोटोकॉल का तो पालन किया गया है किन्तु "मानवीय" पहलू को अनदेखा किया गया है
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बता दे कि आंध्र प्रदेश में 72 वर्षीय कोविड 19 पॉजीटिव बुजुर्ग की लाश उसके निवास से श्मशान घाट तक एक जेसीबी मशीन के माध्यम से पहुंचाया गया. इस परिस्थिति को लेकर विपक्ष ने जमकर बवाल मचा दिया है जिसके बाद प्रदेश का सियासी पारा गर्मा गया है. यूपी की राजधानी लखनऊ से 160 किलोमीटर दूर बलरामपुर जिले की नगरपालिका का एक अमानवीय व्यवहार सामने आया है, जहां एक लाश के साथ असम्मानजनक कृत्यु किया गया है.
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