इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एचएसबीसी बैंक, जेनेवा की लिस्ट में पाए गए नाम की उन इकाइयों के खिलाफ 121 केस दायर किए हैं. हालाकि, पिछले फिस्कल ईयर के आखिर तक इन मामलों से जुड़े 4,800 करोड़ रुपये टैक्स के दायरे में लाए जा चुके थे. सूत्रों ने बताया कि फाइनेंशियल ईयर 2014-15 के खत्म होने से तुरंत पहले दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद और गोवा की अदालतों में केस दायर किए गए हैं. इस सिलसिले में ब्लैकमनी से जुड़ी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को भी साडी रिपोर्ट सौंपी गई है, जो 12 मई को सुप्रीम कोर्ट के सामने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के लिए इससे जुड़े तमाम तरह के आंकड़े इकट्ठा कर रहा है.
सूत्रों ने बताया कि इन मामलों की जांच में पता चला है कि इन इकाइयों या लोगों ने जानबूझकर डिफॉल्ट किया था और कथित तौर पर उन्होंने स्विस बैंक में पैसा रखते हुए इनकम टैक्स विभाग से इसकी जानकारी भी छिपाई. इसके बाद आईटी-कानून के तहत टैक्स चोरी का मामला दर्ज किया गया. सूत्रों ने बताया, 31 मार्च की समयसीमा से पहले तकरीबन 121 केस दायर किए जा चुके हैं. दरअसल, इसके बाद के पीरियड में इन मामलों पर समयसीमा के कारण कानूनी कार्रवाई मुश्किल हो जाती है.
सूत्रों के मुताबिक, अब तक इस मामले में 4,800 करोड़ की अघोषित इनकम पर कार्रवाई हुई है. इनकम टैक्स विभाग एचएसबीसी के 240 मामलों की जांच कर रहा है, जहां भारतीयों का अवैध पैसा जमा होने की आशंका है. पिछले साल 31 दिसंबर तक आईटी विभाग ने 128 ऐसे मामलों में असेसमेंट का काम शुरू किया था. कुछ साल पहले फ्रांस ने भारत को एचएसबीसी के गुप्त खातों की लिस्ट भारत को सौंपी थी, जिनमें भारत से जुड़े 628 नाम या इकाइयां शामिल थे. इस ग्लोबल बैंक के जेनेवा ब्रांच में काम करने वाले एक एंप्लॉयी ने इन खातों के बारे में सूचनाओं का खुलासा किया था. इन 628 लोगों में से 200 ऐसे थे, जो नॉन-रेजिडेंट थे या जिनका कोई अता-पता नहीं था. ऐसे में टैक्स अधिकारियों की जांच के लिए 428 केस बच जाते थे.
इन 428 मामलों में सरकार का कहना था कि इससे जुड़ी पीक बैलेंस की राशि 4,500 करोड़ रुपये है. उन्होंने बताया, 'टैक्स डिमांड के लिए इस लिस्ट में कुछ और मामलों को जोड़ा जाएगा और जल्द कानूनी कार्रवाई शुरू होगी. एचएसबीसी की पूरी लिस्ट में कुल 1,668 भारतीयों के नाम शामिल हैं, जबकि कार्रवाई के लायक 1,195 मामले हैं. कुल मिलाकर, 2007 तक इन एकाउंट्स का बैलेंस 4.11 अरब डॉलर (तकरीबन 25,420 करोड़ रुपये) था. इस साल के शुरू में छपी लिस्ट के मुताबिक, कुल 1,688 भातीयों से जुड़े 2,699 एकाउंट्स हैं. इनमें से 1,403 खाते 1969 से 2006 के बीच खोले गए.
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