पोंजी स्कीमों से रहें सावधान
पोंजी स्कीमों से रहें सावधान
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सहारा, शारदा चिटफंड, पीएसीएल ये सब पोंजी योजनाएं हैं जिनमें निवेशकों का हजारों करोड़ रुपया डूब गए. जांच एजेंसियों और सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई के बाद भी निवेशकों का पैसा वापस नहीं आया.सवाल ये है कि हर बार आम लोग कैसे छले जाते हैं और आप इस छल से कैसे बचें?

पोंजी स्कीम का मतलब है आपको बंपर रिटर्न के नाम पर ऐसे कारोबार में निवेश करने के लिए कहना जो वास्तव में है ही नहीं. इसलिए इनकी पहचान का सबसे अच्छा तरीका है वैसे रिटर्न के ऑफर जो पहली नजर में विश्वास करने लायक ही ना लगें.ऐसी स्कीमों में आपको ये भी समझ नहीं आएगा कि इन कंपनियों का आसली काम क्या है या फिर आपका पैसा किस कारोबार में लगाया जाएगा.

बता दें कि ये कंपनियां मुख्य रूप से एजेन्टों के जरिए हर स्तर और हर उम्र के लोगों को आपना शिकार बनाती हैं. अक्सर एजेन्ट निजी संबंधों का इस्तेमाल कर निवेशक से पैसा लेते हैं. अगर आप ऐसी किसी स्कीम का शिकार हो चुके हैं तो बिना समय गंवाए पुलिस के पास जाएं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में कंपनियों पर नजर रखने वाली संस्था सेबी ने सिर्फ मई 2013 और सितंबर 2014 के बीच 47 कंपनियों पर धोखाधड़ी के मामले चलाए हैं. भारत की सिर्फ दो बड़ी पोंजी योजनाओं सहारा और शारदा ने 66,895 करोड़ रुपयों का घोटाला किया है. इस कड़ी में सबसे नया नाम है पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लि., जिसने 49,100 करोड़ रुपयों का चूना लगाया है. इनके पास पैसे जाने के बाद वसूली का रास्ता बहुत मुश्किल है. सेबी ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में 19.2 करोड़ और 2015-16 में 224.6 करोड़ रुपया वसूला था.

सुप्रीम कोर्ट का सहारा ग्रुप से सवाल-'कहा से आये इन्वेस्टर्स के देने के लिए 25 हजार...

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