क्रिकेट जगत ग्लैमर से भरा हुआ है। भारत में इसकी पॉपुलैरिटी बहुत ज्यादा है। लोग प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने के लिए क्लब से लेकर कोचिंग क्लासेस तक ज्वाइन करते हैं। हालांकि, यदि क्रिकेट जगत में करियर की बात की जाए, तो एक ऐसा भी विकल्प है, जहां बगैर खेल ही प्रवेश प्राप्त हो सकता है। हम बात कर रहे हैं, फिजियो की। इस पद पर रहने वाले शख्स को करोड़ों का पैकेज प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि फिजियो बनने के लिए क्या करना होता है।।।
फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए क्या करना होता है?
फिजियोथेरेपिस्ट या शॉर्टफॉर्म कहें, तो फिजियो बनने के लिए 12वीं से ही फोकस करना होता है। 12वीं किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान या बोर्ड से साइंस स्ट्रीम में उत्तीर्ण होना चाहिए। तत्पश्चात, विद्यार्थी फिजियोथेरेपी के सेक्टर में दो सालों का डिप्लोमा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त फिजियोथेरेपी में बैचलर्स डिग्री एवं संबंधित स्पेशियलाजेशन में मास्टर्स डिग्री भी मौजूद है।
क्रिकेट जगत में फिजियो बनने के लिए क्या करना होता है?
इसके लिए कुछ खास काम नहीं करना होता है। इसके लिए एक्सपीरियंस की जरुरत होती है। बात यदि BCCI की करें, तो जब आवश्यकता होती है, तो आवेदन मांगे जाते हैं। इसमें लंबा-चौड़ा एक्सपीरियंस मांगा जाता है। तत्पश्चात, वर्किंग कमेटी की मीटिंग होती है। इंटरव्यू होता है तथा फिर किसी एक को इस पद के लिए चयन किया जाता है। ऐसे में इच्छुक केंडिडेट इसका आरम्भ किसी क्रिकेट क्लब या किसी अन्य खेल में बतौर फिजियो कर सकते हैं। क्योंकि जब BCCI ने Evan Speechly को फिजियो नियुक्त किया था, तो उनके पास रग्बी टीम का भी बेहद ज्यादा एक्सपीरियंस था। आज कल IPL टीम और यहां तक की प्रोफेशनल प्लेयर निजी फिजियो भी चुनते हैं।
क्रिकेट के अतिरिक्त और कहां मिलती है नौकरी?
फिजियोथेरेपिस्ट की आवश्यकता केवल क्रिकेट या खेल के क्षेत्र में ही नहीं है। सरकारी नौकरी में भी बड़ा मौका है। किसी भी सरकारी अस्पताल या संस्थान या संबंधित किसी भी संगठन में फिजियोथेरेपिस्ट का पद ग्रुप 'सी' के लेवल पर नियुक्ति होती है। इसमें चार भिन्न-भिन्न विभाग होते हैं- आर्थोपेडिक्स, न्यूरो, कार्डियो एवं फिजियो। इसके लिए भी आवेदन मांगे जाते हैं। लिखित परीक्षा होती तथा चयन किया जाता है।
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