भारतीय आभूषण बाजार में बड़े-बड़े देशी और विदेशी ब्रांड्स जैसे तनिष्क, स्वरोवस्की, डी बीयर्स, डी डमास, टिफनीज, आईटीसी लाइफ स्टाइल, गीतांजली ज्वेलरी प्राइवेट लिमिटेड बहुत तेजी के साथ अपनी जगह बना रहे हैं। जहां नए ब्रांड अपने पांव जमाएंगे, वहां उनके कारोबारी सपनों को पूरा करने के लिए प्रोफेशनल्स की जरूरत तो पड़ेगी ही। सिर्फ नए ब्रांड ही क्यों, दुनिया के कुल सोने के कारोबार का 20 फीसदी हिस्सा जो अकेले भारत की झोली में है, उसे देखते हुए भी कह सकते हैं कि ज्वेलरी डिजाइनिंग करियर के लिहाज से एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
आज बाजार कस्टमाइजेशन और नई-नई तकनीकों के इस्तेमाल का है। ऐसे में पुराने सुनारों के दिन तो फिरते हुए दिखाई दे ही रहे हैं, साथ ही ज्वेलरी डिजाइनर्स की एक बड़ी फौज भी तैयार हो रही है। आभूषणों में अलग-अलग रंगों और आकारों का चलन तेजी से ग्राहकों के बीच अपनी जगह बना रहा है। यह चलन किसी और की नहीं, बल्कि ज्वेलरी डिजाइनर्स की ही देन है।आज मार्केट में हर काम के लिए स्पेशलाइज्ड लोगो की जरूरत होती है। इसके लिए अलग-अलग कोर्स भी हैं। जैसे आजकल कॉस्टय़ूम ज्वेलरी मेकिंग का बहुत चलन है। इसमें हैंड मेड ज्वेलरी भी शामिल है। इसके अलावा इंडस्ट्री ओरिएंटेड डिजाइनिंग होती है, जिसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि क्या चलन में है या किसी को अपनी ज्वेलरी में क्या चाहिए।
जहां करियर के लिहाज से यहां ढेरों संभावनाएं हैं, वहीं व्यक्तिगत तौर पर छात्रों में क्या योग्यताएं होनी चाहिए, आइये जाने यह क्षेत्र हर उस छात्र के लिए है, जो क्रिएटिव फील्ड में अपना करियर बनाना चाहता है यानी क्रिएटिविटी आपकी पहली और आखिरी योग्यता है। कोर्स करने के साथ आपको बेसिक जानकारी मिल जाती है, साथ ही आपका हुनर भी पॉलिश हो जाता है, जिसका इस्तेमाल आप आभूषण के बाजार में कर सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि किसी भी डिजाइनर के लिए एक आइडिया से ज्वेलरी बनाने के लिए 1 से 2 साल का वक्त पर्याप्त है। लेकिन ज्वेलरी डिजाइनिंग में एक साथ कई चीजें शामिल होती हैं, इसलिए इसमें जितना समय दिया जाए, उतना बढिय़ा है। ज्वेलरी डिजाइनिंग एक काफी बडा विषय है, इसलिए छात्र चाहें तो ग्रेजुएशन के अलावा बेसिक ज्वेलरी डिजाइनिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग से शुरुआत कर आगे अपनी पसंद के फील्ड में एडवांस कोर्स कर सकते हैं। इन कोर्स के माध्यम से छात्रों को बहुमूल्य धातुओं के इस्तेमाल से लेकर हीरे तथा अन्य रत्नों की जानकारी व उनके प्रयोग के बारे में भी सिखाया जाता है। कुछ संस्थान ज्वेलरी डिजाइनिंग को लाइफस्टाइल का ही एक हिस्सा मानते हैं, इसलिए वे इसे एक्सेसरीज डिजाइनिंग में शामिल करते हैं। ऐसे में छात्र न सिर्फ आभूषण, बल्कि बहुमूल्य धातुओं और रत्नों के अलग-अलग प्रयोगों के बारे में भी सीख सकते हैं।
ज्वेलरी डिजाइनर्स का काम
सबसे पहले ज्वेलरी डिजाइनर्स ब्रांड या स्टोर की जरूरतों और पसंद को ध्यान में रखते हुए हाथ या कम्प्युटर के जरिये स्कैच तैयार करते हैं। उनसे सलाह करने के बाद डिजाइनर्स एक डिटेल ड्रॉइंग तैयार करते हैं। अब डिजाइन्स को फ्लोराल पैटर्न्स पर तैयार करने के बाद अलग-अलग ढांचों को एक साथ जोड़ा जाता है। डिजाइनर अपने डिजाइन को तैयार करते समय इस बात का खास ख्याल रखता है कि आखिर में उसका डिजाइन किस कच्चे माल से तैयार होगा। यह सब काम हो जाने के बाद वह खुद कारीगरों के साथ लग कर आभूषण तैयार करता है।
प्रमुख संस्थान
• एनआईएफटी
• एसएनडीटी विमन्स यूनिवर्सिटी, मुंबई
• पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन टेनोलॉजी, जयपुर
• साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक फॉर वुमन, दिल्ली
• ज्वेलरी डिजाइनिंग इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेनोलॉजी, दिल्ली
योग्यता
इस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के लिए कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है। साथ ही किसी खास विषय की जानकारी की भी कोई अनिवार्यता नहीं है। सिर्फ छात्र का क्रिएटिव होना उसकी योग्यता माना जाता है। इसके अलावा छात्र ज्वेलरी डिजाइनिंग में ही ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं।
एजुकेशन लोन
ज्यादातर बैंक ज्वेलरी डिजाइनिंग जैसे वोकेशनल कोर्स के लिए लोन की सुविधा मुहैया नहीं कराते, लेकिन स्नातक डिग्री प्रोग्राम के लिए एचडीएफसी और पीएनबी बैंक लोन मुहैया कराते हैं। अधिक जानकारी के लिए प्रशिक्षण संस्थान व बैंक से संपर्क किया जा सकता है।