खुशखबरी: अब प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले परीक्षार्थी भी कर सकते है RTI का पूर्ण उपयोग
खुशखबरी: अब प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले परीक्षार्थी भी कर सकते है RTI का पूर्ण उपयोग
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नई दिल्ली : पिछले दिनों में हुए व्यापम घोटाले तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओ में आए दिन अनियमितता के लगते आरोपों को मद्देनजर रखते हुए एक बड़ी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया जो की प्रतियोगी परीक्षाओ में बैठने वाले विद्यार्थियों के लिए एक वरदान साबित होगा।न्यायमूर्ति एमवाई इकबाल और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने यह व्यवस्था इलाहाबाद हाईकोर्ट तथा केरल हाईकोर्ट के निर्णय को सही बताते हुए अपना फैसला सुनाया।

जिसके अंर्तगत आदेश दिए गए है की परीक्षार्थियों को सुचना के अधिकार के पूर्ण उपयोग का अधिकार दिया जाएगा और उत्तर पुस्तिका के अलावा उन्हें इंटरव्यू तक की जानकारी दी जाएगी और ऐसा करने से उन्हें परीक्षा कराने वाली अथॉरिटी भी नहीं रोक सकती। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उत्तर पुस्तिका की स्कैंड कॉपी और साक्षात्कार के अंक परीक्षार्थियों को उपलब्ध कराने से प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता आएगी तथा निष्पक्षता का भी पूर्ण प्रावधान हो जाएगा।

छात्र की इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगने वाला लंबा समय और मेहनत को देखते हुए यह फैसला सुनाया तथा यह भी कहा गया की यह जानकारी उन्हें देना जरुरी भी है यह हमारे संबिधान के RTI(right to information) act 2005 के अंतर्गत आता है। विद्यार्थियों के साथ ही शिक्षको का भी रखा गया ध्यान सुप्रीम कोर्ट ने जहा विद्यार्थियों के भविष्य के लिए सोचा वही उन्होंने शिक्षको के पक्ष में भी एक फैसला सुनाया जिसमें उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा गया। हालाकि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट तथा केरल हाईकोर्ट के निर्णय के आधार पर फैसले सुनाए। लेकिन इस फैसले में केरल हाईकोर्ट के एक फैसले को बदल दिया गया जिसमें उत्तर पुस्तिका की जांच करने वाले परीक्षक का नाम भी परीक्षार्थियों को बताने के लिए कहा गया था।

अदालत ने इसे ख़ारिज करते हुए फैसला सुनाया की यह परीक्षको के लिए सही नहीं होगा यदि हमने ऐसा किया तो इससे उस पर खतरे की आशंका रहेगी। ऐसा करने पर असफल परीक्षार्थी भविष्य में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में अपने फायदे के लिए अनधिकृत तरीके से उन्हें परेसान भी कर सकते हैं। अतः परीक्षको को ध्यान में रखते हुए अंतिम फैसला यही सुनाया गया की उत्तर पुस्तिका जांचने वाले तथा परीक्षक का नाम.पता विद्यार्थियों को नहीं बताया जाएगा यही उनके लिए सही रहेगा।

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