सैनिटरी पैड में मिले होते हैं कई खतरनाक केमिकल, लड़कियां हो सकती हैं इस गंभीर बीमारी का शिकार!
सैनिटरी पैड में मिले होते हैं कई खतरनाक केमिकल, लड़कियां हो सकती हैं इस गंभीर बीमारी का शिकार!
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हम सभी यह जानते ही हैं कि भारत में किशोरावस्था में प्रवेश कर चुकीं हर चार में तीन लड़कियां सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं। जी दरअसल दुनियाभर में मासिक धर्म लड़कियों को किशोरावस्था के दौरान शुरू हो जाता है और इस दौरान सैनिटरी पैड का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल जननांगों में होने वाली कई गंभीर बीमारियों से बचने के लिए किया जाता है, लेकिन सैनिटरी पैड को लेकर एक नई स्टडी में कुछ ऐसा खुलासा हुआ है, जो चौकाने वाला है। जी दरअसल नई स्टडी के अनुसार, नैपकिन के इस्तेमाल से कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है।

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साथ ही बांझपन की समस्या भी हो सकती है। आपको बता दें कि एनजीओ टॉक्सिक्स लिंक में प्रोग्राम कोर्डिनेटर और इस स्टडी में शामिल डॉक्टर अमित ने इस बारे में बताया कि यह वाकई चौंकाने वाला है। इसी के साथ उन्होंने बताया कि हर जगह आराम से मिल जाने वाली सैनिटरी नैपकिन में कई ऐसे कैमिकल मिले हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक हैं। जी दरअसल डॉक्टर अमित का कहना है कि सैनिटरी प्रॉडक्ट्स में कई गंभीर कैमिकल जैसे कारसिनोजन, रिप्रोडक्टिव टॉक्सिन, एंडोक्राइन डिसरप्टर्स और एलरजींस मिले हैं।

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उन्होंने कहा- 'एनजीओ टॉक्सिक्स लिंक की ओर से की गई यह स्टडी इंटरनेशनल पोल्यूटेंट एलिमिनेशन नेटवर्क के टेस्ट का एक हिस्सा है, जिसमें भारत में सैनिटरी नैपकिन बेचने वाले 10 ब्रांड्स के प्रॉडक्ट्स को शामिल किया गया। इस स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं को सभी सैंपलों में थैलेट (phthalates) और वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (VOCs) के तत्व मिले। हालाँकि बड़ी और चिंता की बात है कि यह दोनों दूषित पदार्थ कैंसर की सेल्स बनाने में सक्षम होते हैं।' आपको बता दें कि एनजीओ की एक अन्य प्रोग्रोम कोर्डिनेटर और स्टडी में शामिल अकांकशा मेहरोत्रा ने बताया कि सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि सैनिटरी पैड के इस्तेमाल की वजह से बीमारी बढ़ने का खतरा ज्यादा है।

जी दरअसल, महिला की त्वचा के मुकाबले वजाइना पर इन गंभीर कैमिकलों का ज्यादा असर होता है। ऐसा होने से यह खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। केवल यही नहीं बल्कि एनजीओ Toxics Link की चीफ प्रोग्राम कोर्डिनेटर प्रीति बंथिया महेश का कहना है कि यूरोपीय क्षेत्र में इस सबके लिए नियम हैं, जबकि भारत में ऐसे कुछ खास नियम नहीं है, जिससे नजर रखी जाती हो। हालांकि, यह बीआईएस मानकों के अंतगर्त जरूर आता है, लेकिन उसमें खासतौर पर केमिकल्स को लेकर कोई नियम नहीं है।

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