चीन की कंपनी हुआवी टेक्नोलॉजी की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझोउ बड़ी मुश्किल में फंसती नजर आ रही हैं। अगर मेंग को अमेरिका प्रत्यर्पण किया जाता है, तो उन्हें 30 साल तक की लंबी सजा भी हो सकती है। कनाडा की अदालत में शुक्रवार को सुनवाई में मेंग पर लगाए गए आरोपों का खुलासा किया गया बता दे मेंग को ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर से 1 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था, गिरफ्तारी के समय वह हांगकांग से मैक्सिको ट्रिप के दौरान विमान बदल रही थीं। वही अमेरिका मेंग के प्रत्यर्पण की भी मांग कर रहा है। बता दे मेंग की गिरफ्तारी के बाद से चीन और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया है।
कनाडा की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत से मेंग की जमानत याचिका स्वीकार न करने का अनुरोध किया था । उन्होंने कहा कि मेंग पर 'कई वित्तीय संस्थानों को धोखा देने का षड्यंत्र' रचने का आरोप है। और यदि ये आरोप साबित हो जाते हैं, तो उन्हें 30 साल से ज्यादा जेल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही मेंग पर विशेष रूप से प्रतिबंधों का उल्लंघन कर तकनीक ईरान को बेचने के लिए एक गुप्त सहायक कंपनी के इस्तेमाल करने का भी आरोप है।
अमेरिका करता विदेशी कंपनी पर कार्रवाई
न्यूयॉर्क स्थित हॉफ्स्ट्रा यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल के प्रोफेसर जुलियन कू ने ट्विटर पर उस कानून की जानकारी दी जिसके आधार पर अमेरिका पाबंदियों का उल्लंघन करने वाली किसी विदेशी कंपनी पर कार्रवाई करता है। कू ने ट्वीट किया, 'अमेरिकी कानून अमेरिका में निर्मित तकनीक को किसी तयशुदा देशों को निर्यात करने से रोकता है। जब हुवावे किसी अमेरिकी तकनीक के लाइसेंस के लिए पेमेंट करती है, तो वह ईरान जैसे कुछ देशों को इसका निर्यात नहीं करने का वादा करती है। इसलिए, अमेरिका द्वारा हुवावे को अमेरिका कानून तोड़ने के लिए दंडित किया जाना अतार्किक नहीं है।
ब्राजील : बैंक लुटेरों और पुलिसकर्मियों की झड़प में एक ही परिवार के 12 लोगों की मौत