फेसबुक अब आतंकवाद से निपटने के यह तरीके अपना रहा है
फेसबुक अब आतंकवाद से निपटने के यह तरीके अपना रहा है
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अमेरिका कई बड़े पैमाने पर काम करने वाली तकनीकी कंपनियां, खासतौर पर फेसबुक आतंकवाद से निपटने की मुहिम में अधिक सक्रिय होने के लिए दबाव में हैं। परन्तु अब प्रश्न यह भी है कि फेसबुक और अन्य तकनिकी कंपनिया आतंकवादियों पर निगरानी रखने के लिए क्या तरीके अपना रही हैं? फेसबुक के कहे अनुसार, "हमारी साइट पर आतंकवाद से जुड़ी सामग्री पर पाबंदी है। इसके लिए हमारी सेवाओं के इस्तेमाल पर हमने रोक लगा रखी है।" सोशल नेटवर्किंग के बड़े दिग्गज भी मानते हैं कि फ़ेसबुक आतंकवाद से सम्बंधित बातों और जानकारियों को साइट से दूर रखने और साथ ही क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों से मिलकर काम करने के प्रयास में लगी हुई है।

फ़ेसबुक ने अपने प्रत्येक पेज पर अपने यूज़र को यह सुविधा दे रखी है कि वे जैसे ही पोर्नोग्राफी या चरमपंथियों से जुड़ी किसी भी सामग्री देखें, तुरंत इसकी रिपोर्ट करें। यूरोप में चौकसी रखने वाले डब्लिन सहित पुरे विश्व में फ़ेसबुक के चार सेंटर हैं, जहां पर योग्य कर्मचारी साइट पर नज़र बनाये रखते हैं। फ़ेसबुक ने चरमपंथी से किसी तरह के जुड़े होने की वजह से माइकल एडिबोवले के कई खातों को हटा दिया था। कंपनी किसी अपराध की प्रत्यक्ष जानकारी होने पर, उदहारण के लिए एक व्यक्ति अपने पेज पर पत्नी की हत्या की बात कर रहा हो, संबंधित अधिकारियों से तुरंत संपर्क करती है। जहां फ़ेसबुक के दुनिया भर में करीब 1.3 अरब यूज़र्स हों और अपनी सरकार के साथ मतभेद रखने वाले की संख्या अधिक होने पर संभावित आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता हैं।

चरमपंथी मामलो की चौकसी में ख़ुफ़िया एजेंसयों को कड़ी मशक्कत करनी होती है। अनेक मामलों में चरमपंथी एक-दूसरे के साथ संपर्क बनाने और संवाद करने के लिए फ़ेसबुक और ट्विटर के साथ ही बदलकर अन्य दूसरी साइटों पर चले जाते हैं, जिसकी वजह से ख़ुफिया एजेंसियों को निगरानी करने में मुश्किलो का सामना करना होता है। एडवर्ड स्नोडेन का मामला सामने आने के बाद से फ़ेसबुक और अन्य दिग्गज तकनीकी कंपनियाँ परस्पर विरोध का दबाव महसूस कर रही हैं। आजकल वे यूज़र्स को इस बात के लिए आश्वस्त करने की कोशिश कर रही हैं कि कंपनी बिना कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाए किसी यूज़र की जानकारी यूं ही अधिकारियों को नहीं सौंपतीं। परन्तु अब उन्हें नए क़ानूनी नियम मजबूर कर रहे हैं। इसके तहत वे आतंकवाद के ख़िलाफ़ ज्यादा सक्रिय होने और अपने यूज़र्स की निजता के प्रति थोड़ा कम चिंतित रवैया अपनाने को मजबूर हो रही हैं।

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