सी. एम. हेल्पलाइन है या...
सी. एम. हेल्पलाइन है या...
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भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने लोगों की शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए जनसुनवाई और सी. एम. हेल्पलाइन जैसी सुविधा शुरू की है। लेकिन भृष्ट और धूर्त अधिकारियो के आगे यह सुविधाएं बौनी साबित हो रही हैं। इसका ताज़ा उदहारण उस समय देखने को मिला जब 01-11-2014  को  सी. एम. हेल्पलाइन में दर्ज कराई गयी एक शिकायत को बिना निराकरण के बंद कर दिया गया। 

मज़ेदार बाद यह है कि जब शिकायतकर्ता ने शिकायत बंद करने पर आपत्ति दर्ज कराई तो सी. एम. हेल्पलाइन ने नए सिरे से फिर एक शिकायत दर्ज करली। मतलब साफ़ है कि सी. एम. हेल्पलाइन की पेंडिंग शिकायतों में से एक शिकायत कम हो गयी जो लगभग दो वर्ष पहले की गयी थी और अब  शिकायतकर्ता को न्याय पाने के लिए नए सिरे से जद्दोजहद करना पड़ेगी।    

क्या है मामला

दरअसल यह पूरा मामला जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी से जुड़ा हुआ है। 08-11-2011 को जनसंपर्क आयुक्त की जनसुनवाई में शिकायतकर्ता ने पुख्ता प्रमाणों के साथ एक लिखित शिकायत की थी शिकायत करने के तीन वर्ष बाद भी जब शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुयी तो शिकायतकर्ता ने सी. एम. हेल्पलाइन का सहारा लिया और 01-11-2014 को शिकायत दर्ज कराई, बीच - बीच में बार -बार शिकायत को बंद करने का प्रयास किया गया। लेकिन शिकायतकर्ता की आपत्ति के बाद शिकायत को खोल दिया जाता था। लेकिन 20-02-2017 को शिकायत स्थाई रूप से बंद करदी गयी. शिकायतकर्ता की असहमति के बाद फिर से शिकायत दर्ज करली गयी। 

सी. एम. हेल्पलाइन जैसी महत्वपूर्ण सेवा को अफसरशाही ने किस प्रकार मज़ाक़ बना दिया है उसका यह जीत जागता उदहारण है।

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