नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर दिल्ली में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में उपस्थितों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज भगवान बुद्ध की जन्मस्थली भूकंप से प्रभावित है। भूकंप पीडि़तों के आंसू पोंछने की जरूरत है। हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान बुद्ध ने करूणा का जो संदेश दिया है उसी करूणा से प्रेरित होकर नेपाल के दुखदर्द को बांटे और उनके आंसूओं को पोंछ सके, इसके लिए ही हम भगवान बुद्ध के चरणों में प्रार्थना करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब भगवान बुद्ध की चर्चा हो रही हो तब यह स्वाभाविक है कि उन्होंने जो कहा, उन्होंने जो जिया और जीने के लिए जो प्रेरणा दी। उस पर यह विचार किया जाएगा कि वह आज की मानव जाति को विश्व को उपकारक है या नहीं। मगर उनके उपदेश विश्व को प्रेरणा देने वाले और उपकारक हैं। यदि हमें युद्ध से मुक्ति पानी है तो बुद्ध के मार्ग से ही मिल सकती है। कभी कभार लोगों का मन होता है कि सत्ता और वैभव समस्याओं का समाधान करने के लिए पूर्ण है लेकिन भगवान बुद्ध का जीवन इस बात को नकार देता है। उनके एक - एक आचरण में ऐसा दिखलाई पड़ता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम यह सोचें कि क्या कारण थे कि जो व्यक्ति स्वयं शस्त्र विद्या में पारंगत हो, जिसके पास अपार सत्ता हो अपार संपत्ति हो उसके बाद भी उसने सोचाव कि मानव कल्याण के लिए यह उपयोगी नहीं है इसके लिए तो कुछ और आवश्यक है। ऐसी एक ताकत है, जिसे जानना आवश्यक है। बुद्ध का कितना बड़ा साहस है कि पलभर में वे सबकुछ छोड़कर चले गए। उन्होंने विचार किया कि इन सबसे भी उपर कोई शक्ति है जो मानव के कल्याण के काम आएगी। यह विचार बुद्ध के मन में कौंध गया।
भीतर की करूणा उनके रोम रोम में प्रतिबिंबित होती है। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी एशिया की सदी है। मगर बुद्ध के बिना कभी भी एशिया की सदी 21 वीं सदी नहीं हो सकती। बिना बुद्ध न तो 21 वीं सदी एशिया की सदी हो सकती है और वे बुद्ध ही हैं जो विश्व को प्रेरणा दे सकते हैं। विश्व संकटों से जूझ रहा है। विश्व का भूभाग रक्त रंजीत है। तब करूणा का संदेश आखिर कहां से आएगा। मरने मारने की मानसिकता के बीच प्रेम का संदेश कहां से आएगा। वह तो केवल बुद्ध ही हैं। जिनसे करूणा, प्रेम की शिक्षा मिल सकती है। मानव जाति को संकटों से मुक्त करने और विश्व को रास्ता दिखाने के लिए बुद्ध ही प्रेरक हैं।