जानिए भगवान बुद्ध जुडी अनसुनी बातें
जानिए भगवान बुद्ध जुडी अनसुनी बातें
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भगवन बुद्ध के बारे में आप जानते ही हैं. भगवान बुद्ध का धर्म पूर्व के कई राष्ट्रों का धर्म है. जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, चीन, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड, कंबोडिया, हांगकांग, मंगोलिया, तिब्बत, भूटान, मकाऊ, बर्मा, लागोस और श्रीलंका तो बौद्ध राष्ट्र है ही साथ ही भारत, नेपाल, मलेशिया, इंडोनेशिया, जैसे देशों में बौद्धों की संख्या अच्छी खासी है. यहां के लोग बौद्ध धर्म को काफी मानते हैं. कुछ वर्षों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में बौद्धों पर हुए अत्याचार के चलते वहां इनकी संख्या कम हो चली है. बौद्ध जयंती 18 मई को मनाई जाएगी और इसी के चलते गौतम बुद्ध के बार में जाने हैं कुछ अनसुनी बातें. 

* वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी वन में ईसा पूर्व 563 को हुआ. उनकी माता महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास उस काल में लुम्बिनी वन हुआ करता था वहीं पुत्री का जन्म दिया. 

* इसी दिन (पूर्णिमा) 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के ‍नीचे जाना कि सत्य क्या है और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए.

* बुद्ध का जन्म नाम सिद्धार्थ रखा गया. सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे और उनका सम्मान नेपाल ही नहीं समूचे भारत में था. इनकी बुद्धि और ज्ञान को लोग बहुत मानते हैं. सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया था.

* गौतम बुद्ध शाक्यवंशी छत्रिय थे. शाक्य वंश में जन्मे सिद्धार्थ का सोलह वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ. यशोधरा से उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम राहुल रखा गया. बाद में यशोधरा और राहुल दोनों बुद्ध के भिक्षु हो गए थे.

* बुद्ध के जन्म के बाद एक भविष्यवक्ता ने राजा शुद्धोदन से कहा था कि यह बालक चक्रवर्ती सम्राट बनेगा, लेकिन यदि वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया तो इसे बुद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता और इसकी ख्‍याति समूचे संसार में अनंतकाल तक कायम रहेगी. ऐसा ही हुआ और आज भी उन्हें अपने शांत स्वाभाव के कारण जाना जाता है. 

* राजा शुद्धोदन सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनते देखना चाहते थे इसीलिए उन्होंने सिद्धार्थ के आस-पास भोग-विलास का भरपूर प्रबंध कर दिया ताकि किसी भी प्रकार से वैराग्य उत्पन्न न हो. बस यही गलती शुद्धोदन ने कर दी और सिद्धार्थ के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया. 

* कुछ लोग कहते हैं कि श्रीमद्भागवत महापुराण और विष्णुपुराण में हमें शाक्यों की वंशावली के बारे में उल्लेख पढ़ने को मिलता है. कहते हैं कि राम के 2 पुत्रों लव और कुश में से कुश का वंश ही आगे चल पाया. कुश के वंश में ही आगे चलकर शल्य हुए, जो कि कुश की 50वीं पीढ़ी में महाभारत काल में उपस्थित थे. इन्हीं शल्य की लगभग 25वीं पीढ़ी में ही गौतम बुद्ध हुए थे.

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