बठिंडा : अक्सर सेना के जांबाज रणबांकुरे अपनी जान पर खेलकर देशवासियों की रक्षा करते हैं और उन्हें सेन्य सम्मान से नवाजा जाता है। सारा देश उन्हें सर आंखों पर बैठाता है। मगर हाल ही में एक बात सामने आई है कि वर्ष 2010 में कारगिल में एक सेनिक पी जनार्दन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जिसके बाद उनके परिजन ने सेनिक की मौत का कारण जानने का प्रयत्न किया मगर इसके उत्तर में उनके दूसरे सेनिक बेटे को परेशान किया जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में सेना के एक जवान की जान चली जाने के बाद उनकी भाभी वसुधा निवासी मैत्री नगर ने अपने देवर की मौत को लेकर जानकारी मांगी तो उनके सेनिक पति सन्मुख राव को और उन्हे ही मानसिकतौर पर परेशान किया जाने लगा। अब उनके पति को जबरन कारगिल भेजा जा रहा है। पति के कारगिल न जाने पर जबरन कोर्ट मार्शल की धमकी दी जा रही है। मामले में हाल ही में वसुधा ने पत्रकारों से चर्चा कर इस तरह की बातों का खुलासा किया।
वसुधा ने बताया कि उसका देवर सेना में था। 25 दिसंबर 2010 को पति सन्मुख अंबाला और देवर जनार्दन कारगिल में ड्युटीरत थे। कारगिल में देवर की हत्या कर दी गई। पहले तो सेन्य अधिकारियों ने उनके द्वारा आत्महत्या करने और फिर बर्फ से गिरकर गोली लगने से मौत हो जाने की बात कही। मगर अधिकारियों की इन बातों पर उन्हें संदेह हुआ और अपने देवर की मौत का असली कारण जानने के लिए उन्होंने आरटीआई में आवेदन किया।
जिसमें यह बात सामने आई कि उनके देवर की मौत एक गोली पीछे से और दो गोली सामने से लगने के कारण हुई है। यह जानकारी सामने आने के बाद उसने अपने देवर का केस फिर खुलवाया और इसके बाद उसके पति को परेशान किया जाने लगा। मामले में पति को कारगिल बुलवाया गया। उसका तबादला अंबाला से बड्क्षठा करवा दिया गया।
पांच वर्ष में उसे कई बार तबादलों का सामना करना पड़ा। वसुधा ने कहा है कि अब उसे किसी तरह का इंसाफ नहीं चाहिए बस उसके पति की जान बख्श दी जाए। इसके साथ ही उसने प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत करवाया है। मामले में कहा गया है कि सन्मुख सकुशल है। ड्युटी के कारण वह अपनी पत्नी ने बात नहीं कर पा रहा है। ड्युटी खत्म होने के बाद वह घर पहुंच जाएगा यदि वह नहीं पहुंचा तो इसकी जांच की जाएगी।