नन्हा फरिश्ता: मरकर भी जी जाना शायद इसे ही कहते है...

नन्हा फरिश्ता: मरकर भी जी जाना शायद इसे ही कहते है...
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लंदन: मरकर भी जी जाना शायद इसे ही कहते है। एक नन्हा फरिश्ता जिसे किसी ने नहीं सिखाया होगा कि अंगदान का क्या महत्व है, कैसे यह किसी के अंधेरे से भरे जीवन में उजाला ला सकता हगै, लेकिन मात्र 100 घंटे की जिंदगी में उसने कइयों को ये अगाध खुशी दे दी।

दो साल पहले टेडी की जन्म हुआ था, तब वो मात्र 100 घंटे ही जीवित रह सका था। लेकिन इतने ही समय में उसकी किडनी, हार्ट वॉल्व व अन्य अंग आठऑ जरुरतमंद लोगों को लगाए गए। अब टेडी के परिजनों से प्रेरणा लेकर 1 लाख से अधिक लोगों ने अंग दान की प्रतिज्ञा ली है।

टेडी जुड़वा भाई के साथ पैदा हुआ था। डॉक्टरों ने उसकी मां जेस इवान्स को पहले ही बता दिया था कि उनके गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों में से एक को एनेंनसेपाल बीमारी है। इस बीमारी में शिशु के सिर और मस्तिष्क का विकास नहीं होता है।

हांलाकि डॉक्टरों ने जेस को सलाह दी थी कि शिशु को कोख में ही मार दिया जाए। लेकिन जेस ने साफ इंकार कर दिया। आमतौर पर ऐसे बच्चे जन्म के तुरंत बाद ही मर जाते है, लेकिन टेडी पूरे 100 घंटे तक जीवित रहा।

आज उसका दूसरा भाई अपना दूसरा जन्मदिन मना रहा है। एक ओर इससे परिवार दुखी है, तो वहीं दूसरी ओर इस बात की खुशी है कि मरकर भी उसने कइयों को नया जीवन दे दिया।

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