देशभर के ज्यादातर हिस्से से ऐसे सवाल उठने लगा है कि क्या जल्द ही पैट्रोल 100 रूपए प्रति लीटर में बिकने वाला है? विपक्षी दलों का कहना है कि ऐसा हो भी सकता है क्योकि जिसके हाथ में पैट्रोल की कीमतें कम करने का हथियार है वो हथियार डाले बैठा है. विपक्षी दलों का तो यह भी कहना है कि केंद्र सरकार ही तेल की बढ़ती कीमतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है. तो चलिए आपको समझाने की कोशिश करते है कि आखिर ये पूरा गणित है क्या और किस वजह से देश की जनता में इतना आक्रोश फैला हुआ है.
आपको बता दें कि एक लीटर पैट्रोल की असल कीमत 38.17 रुपए होती है. इसमें 19.48 रुपए प्रति लीटर की दर से एक्साइज़ ड्यूटी और 16.55 रुपए प्रति लीटर का वैट जोड़ा जाता है. इसके अलावा 3.63 रुपए प्रति लीटर का डीलर कमीशन भी इसी में ऐड होता है जिसके बात ग्राहकों तक ये पैट्रोल 77.83 रुपए प्रति लीटर की दर पर मिलता है. अब ऐसे में मांग उठने लगी है कि पैट्रोल को भी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) के अंदर लाया जाए.
इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फ़ड़नवीस का कहना है कि अगर केंद्र जीएसटी पर आम सहमति बना लें तो पेट्रोल-डीज़ल के दामों में काफ़ी कमी लायी जा सकती है. फडणवीस के मुताबिक, ''तेल के दाम घटाने को लेकर टास्क फ़ोर्स ने काम करना शुरू कर दिया है. अगर इन पर जीएसटी लगा दिया जाता है तो इसकी ऊपरी सीमा तय हो जाएगी क्योंकि अभी इन पर ऐसा टैक्स लगाता है जो दाम बढ़ाता है.''
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