दुनिया को सच्चे आर्थिक सहयोग का स्वाद दे रहे हैं ब्रिक्स राष्ट्र
दुनिया को सच्चे आर्थिक सहयोग का स्वाद दे रहे हैं ब्रिक्स राष्ट्र
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बीजिंग : ब्रिक्स राष्ट्रों का लक्ष्य विश्व शांति, सुरक्षा, स्थायित्व, विकास और सहयोग को बढ़ावा देना है। यह सभी मुद्दे पूरी दुनिया के लिए समान महत्व रखते हैं। यह कहना है ब्रिक्स देशों के ब्रिटेन में तैनात राजदूतों का। हाल ही में राजदूतों ने अपनी भावनाओं को एक लेख में व्यक्त किया है जिसे डेली टेलीग्राफ के द्वारा प्रकाशित किया गया है। गौरतलब है कि ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल हैं। इन पांचों देशों के राजदूतों ने यह लेख संगठन पर उठ रहे सवालों के मद्देनजर लिखा है। लेख का शीर्षक है 'दुनिया को सच्चे आर्थिक सहयोग का स्वाद दे रहे हैं ब्रिक्स राष्ट्र।' इसमें रूस के शहर उफा में 8-9 जुलाई को हुए ब्रिक्स राष्ट्रों के सम्मेलन की भी समीक्षा की गई है।

लेख में उफा शिखर सम्मेलन को सहयोग की दिशा में मील का पत्थर बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि ब्रिक्स के प्रयास जी-20 सहयोगियों के साथ अपनी प्रतिबद्धता के ही पूरक हैं। इसमें लिखा गया है, "जैसे कि उफा घोषणा में कहा गया है, हम जी-20 के साथ मिलकर काम करने के लिए वचनबद्ध हैं जो कि अंतर्राष्ट्रीय वित्त और आर्थिक सहयोग का बेहद महत्वपूर्ण मंच है।" इस बात की चर्चा हो रही है कि ब्रिक्स ऐसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं जो विकसित देशों के लिए चुनौती बनना चाहती हैं।

लेख में इसको नकारा गया है। राजदूतों ने लिखा है कि ब्रिक्स राष्ट्रों का आपसी सहयोग किसी के भी खिलाफ नहीं हैं बल्कि इनका मकसद संयुक्त प्रयास से सभी के लिए अच्छी स्थिति बनाना है। ब्रिक्स राष्ट्रों के यूरेशियन इकोनामिक यूनियन, शंघाई कारपोरेशन आर्गनाइजेशन और अफ्रीकन यूनियन के साथ सहयोग की मिसाल देते हुए लेख में कहा गया है कि ब्रिक्स सदस्य आपसी सहमति के मुद्दों पर किसी के भी साथ सहयोग के लिए तैयार हैं।

ब्रिक्स राष्ट्रों के बीच के सहयोग की बात बात करते हुए लेख में कहा गया है कि इनके बीच लगातार सहयोग बढ़ रहा है। वित्त, आर्थिक, विज्ञान, तकनीक, कृषि, समाजिक नीति, सेहत, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। लेख में कहा गया है, "हमारा रिश्ता सार्वभौम समता पर आधारित है। हममें से कोई किसी पर भी अपनी इच्छा नहीं थोपता है और हमारे फैसले सर्वसम्मति से होते हैं।" लेख में आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, नए संक्रामक रोगों, मादक पदार्थो की तस्करी जैसे क्षेत्रों में सहयोग का भी उल्लेख किया गया है।

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