फिरोज खान ने अपने नाम के आगे लगाया अर्जुन, जानिए क्या है अनुभव
फिरोज खान ने अपने नाम के आगे लगाया अर्जुन, जानिए क्या है अनुभव
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महाभारत की लड़ाई में अर्जुन की निर्णायक भूमिका थी और इस बात से कोई भी असहमत नहीं होगा. एक तरफ जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का सारथी बन उन्हें युद्ध में विजय दिलाई. तो वहीं दूसरी तरफ युद्धक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान भी दिया. इसके साथ ही अर्जुन दुनिया के वो पहला इंसान थे, जिन्हें स्वंय भगवान के मुंह से गीता उपदेश सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. अर्जुन के बहाने आज गीता ज्ञान से पूरी दुनिया का मार्गदर्शन हो रहा है.इसके साथ ही अर्जुन पर श्रीकृष्ण की विशेष कृपा थी और इसीलिए श्रीकृष्ण उन्हें प्यार से पार्थ कहकर बुलाते थे. वहीं सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा का विवाह भी अर्जुन से करवाया था| बी आर चोपड़ा की महाभारत का लोगों पर ऐसा जादुई असर हुआ कि उसके बाद जितनी भी महाभारत बनीं कोई इस महाभारत का रिकॉर्ड तोड़ नहीं पाई. वहीं बी आर चोपड़ा की महाभारत में अर्जुन का किरदार निभाने वाले फिरोज खान से एक मिडिया रिपोर्टर से बातचीत की. 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की फिरोज खान से पूछा गया की आप अर्जुन के रूप में अपने किरदार के बारेमे क्या कहना चाहेंगे| टीवी फिरोज खान ने कहा, एक अच्छा योद्धा, एक अच्छा मित्र , एक अच्छा पिता, एक आदर्शवादी भाई. इसके अलावा अर्जुन का जो किरदार है, वो दुनिया को ये सिखाता है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाइए और उसे हर हाल में पूरा कीजिए, फिर चाहे किसी परेशानियां आएं या मुसीबतें लेकिन आप अपने लक्ष्य को पूरा करके ही दम लीजिए.इसके अलावा फिरोज खान से पूछा गया महाभारत को किस रूप में लेते हैं| तब एक्टर ने कहा, शुरु तो ये हुआ है महाकाव्य के रूप में, लेकिन जब लोग इसकी गहराई में उतरे तो ये इतिहास निकला, कहानी ये इसलिए नहीं है क्योंकि महाभारत से जुड़े कई सारे सबूत आज भी दुनिया में मौजूद हैं. 

वहीं इसलिए ये हमारा इतिहास है, हालांकि कई लोग इसे आज भी महाकाव्य कहते हैं पर मेरे हिसाब से ये हमारा इतिहास है जिसे वेद व्यास जी ने बड़ी ही खूबसूरती से लिखा है.वहीं फिरोज खान से पूछा गया की आप, अर्जुन और कृष्ण की दोस्ती को किस रूप में देखते हैं| तो एक्टर ने कहा, अर्जुन नर थे और कृष्ण नारायण थे लेकिन फिर भी अर्जुन और कृष्ण का अटूट रिश्ता था, अर्जुन कृष्ण के भक्त और सखा दोनों थे. अर्जुन और कृष्ण एक ही सिक्के के दो पहलू थे, अर्जुन की खूबियों को कैसे अच्छी तरह से इस्तेमाल करना है. ये अर्जुन से ज्यादा भगवान श्रीकृष्ण जानते थे और इसलिए जब भी अर्जुन , श्रीकृष्ण के साथ होते थे वो अजेय हो जाते थे. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा भी है कि अर्जुन ही वो है जो तुम्हे नारायण के दर्शन करवाएगा. जब-जब अर्जुन मुसीबत में होते थे वासुदेव कृष्ण उनकी सहायता के लिए आ जाते थे और यही सच्चे दोस्ती की पहचान भी है कि सच्चा दोस्त कभी अपने मित्र को मुसीबत में अकेला नहीं छोड़ता है|

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