#Bycottchina का समर्थन कर रहे हैं तो आज ही घर से फेंक दीजिये फेंगशुई से जुडी हर चीज
#Bycottchina का समर्थन कर रहे हैं तो आज ही घर से फेंक दीजिये फेंगशुई से जुडी हर चीज
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वोकल से लोकल बनने की पहल में एक के बाद एक कई लोग जुड़ते चले जा रहे हैं। इस पहल में चीन (#china) से आने वाले सामानो के बहिष्कार के बारे में कहा जा रहा है। इस समय ट्वीटर ही नहीं हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक ही बात है #bycottchina. ट्वीटर पर इसे लेकर बहुत तेजी से पोस्ट किये जा रहे हैं। बड़े-बड़े महान व्यक्ति हो या आम लोग सभी बायकॉट चाइना प्रोडक्ट का समर्थन कर रहे हैं लेकिन क्या आपने अपने घर से #chinafengshui लाफिंगबुद्धा, फेंगशुई-पिरामिड, चाइनीज़-ड्रेगन, कछुआ, फेंगशुई-सिक्के, तीन टांगों वाला मेंढक और हाथ हिलाती हुई बिल्ली जैसे सामान फेंक दिए हैं क्या....?

गुड लक के लिए लोग इन्हे अपने घरों में रखते हैं और अंधविश्वास में जीते हुए इनका उपयोग कर रहे हैं। लोग बायकॉट चाइना तो कर रहे हैं लेकिन चीन से ही आने वाले लाफिंगबुद्धा, फेंगशुई-पिरामिड, चाइनीज़-ड्रेगन, कछुआ, फेंगशुई-सिक्के, तीन टांगों वाला मेंढक और हाथ हिलाती हुई बिल्ली जैसे सामनों को नहीं फेंक रहे हैं। लोग इस अंधविश्वास में जी रहे हैं कि अगर इन्हे फेंक दिया तो गुड लक चला जाएगा और हम बर्बाद हो जाएंगे। भारत में पढ़े लिखे लोग (डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर) तक सभी इन अंधविश्वासों में यकीन रखते हैं। लोग एक दूजे को गिफ्ट में ऐसी चीजें देते हैं और उनके अच्छे भविष्य की कामना करते हैं लेकिन क्या सच में यह सही है...?

इंटरनेट पर सर्च किया जाए तो इस बारे में बहुत कुछ मिलेगा, जैसे- इन्हे कहा रखना है, कैसे रखना है, किस दिशा में रखना है आदि। वहीं लोग यह सब पढ़कर इसे अपना भी रहे हैं। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के अनेक देशों में कहीं न कहीं फेंगशुई (#fengshui) का जाल फैला हुआ है और इसकी मार्केटिंग का तंत्र इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से लोगों तक पहुँच रहा है। चीनी इस फेंगशुई के द्वारा दुनिया के किसी भी बाजार में चले जाते हैं और उसके बाद लोग उनके फैलाये जाल में फंस जाते हैं।

अनुमानों के हिसाब से भारत में ही इसका कारोबार लगभग 200 करोड़ रुपए से अधिक का है लोग इसकी चपेट में इतने अधिक हैं कि भारत के हर तीसरे घर में आपको चीनी फेंगशुई से जुडी कोई चीज मिल ही जाएगी। यह चीन की एक रणनीति है जो तेजी से कारगर हुई है और आज तक काम कर रही है। चीनी फेंगशुई के चपेट में लोग इस कदर घिर चुके हैं कि उन्हें लगता है उनका भविष्य इसी से जुड़ा है और अगर यह नहीं होगा तो वह गरीब हो जाएंगे। वैसे अगर इसका असल अर्थ समझा जाए तो वह कुछ अलग ही है। जी दरअसल चीन में फेंग का अर्थ होता है ‘वायु’ और शुई का अर्थ है ‘जल’ अर्थात फेंगशुई का अर्थ है जलवायु। अब इसका आपके सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन दौलत पाने से क्या संबंध है? आप स्वयं ही समझ सकते हैं। जिस भारत में लोग बिल्ली अगर रास्ते के सामने आ जाए तो रास्ता बदल लेते हैं, वह घर में आए तो उसे भगा देते हैं वहीं अगर वह चाइनीस बिल्ली हो तो उसे घर में रखते हैं क्योंकि वह सौभाग्य बढ़ाती है, तो क्या यह गलत नहीं है....? बिल्ली का घर में रहना अशुभ है तो यह सुनहरी बिल्ली सौभग्य कहाँ से बढ़ा सकती है, जरा सोचिये...?

लाफिंगबुद्धा को घर में रखना लोग शुभ मानते हैं लेकिन कभी आपने सुना है कि किसी बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहा हो 'मेरी इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूँगा?' नहीं ना तो आप कैसे उसे घर में रखते हैं धन की लालच में.... आप कैसे सोच सकते हैं कि वह आपको धन देगा.....? क्या सच में हम इतने मुर्ख हो चले हैं कि हमे कुछ समझ नहीं आता या हम चीन के हाथों की कठपुतली बन चुके हैं...? भारत जहाँ लोग रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथों को पढ़ते हैं वहां कभी आपने लाफिंग बुद्धा, सुनहरी बिल्ली, तीन टांग वाले मेढक के बारे में सुना है।।।? क्या भारत में 33 कोटि देवी देवताओं ने आपकी नहीं सुनी जो आप चीन के ढकोसलों पर गौर कर उनसे मदद मांग रहे हैं....? यह सब चीन का कमाने का जरिया है जिसमे हर कोई घिरा हुआ है। अब अगर आप बायकॉट चीन कर रहे हैं तो अपने घर से इन सामने को भी निकाल फेंकिए क्योंकि यह सिर्फ कमाने के लिए है आपके सौभाग्य को बढ़ाने के लिए नहीं। अगर चीन फेंगशुई में इतना ही असर है तो चीन में कोई गरीब नहीं होना चाहिए, हर व्यक्ति के पास अपना बंगला, गाडी होना चाहिए लेकिन क्या ऐसा है क्या....? नहीं न तो फिर हम क्यों ऐसे अंधविश्वासों में जी रहे हैं।

आज लोग अपने घरों में तीन चाइनीज सिक्के जो लाल रिबन से बंधे होते हैं, उन्हें लटकाते हैं, अपने पर्स में रखते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं कि यह हम कर क्या रहे हैं। कभी उस पर लिखे शब्दों को समझ पाए हैं जो उन्हें अपने पास रख रहे हैं। जरा इस बात पर ध्यान दीजिये कि चीन ने इसी तरह के आक्रामक रणनीति के सहारे धीरे-धीरे भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर लगभग कब्ज़ा लिया है और आप भी उनके फैलाये जाल में फंसे हैं। उनके सामान के कारण हमारे देश में वह वस्तुएं नहीं बिकती हैं जिन्हे बनाने में हजारों वर्षो से हमारे कारीगर निपुण थे। कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक जनसँख्या वाली जातियाँ जो अच्छे से अच्छा सामान बनाती है वह चीन के कारण ही बेरोजगारी का शिकार नहीं हो रही बल्कि मानव की सौभाग्य वृद्धि की सोच के कारण भी गरीबी का शिकार हो रहीं हैं। हम केवल एक बिचौलिए विक्रेता की भूमिका में ही रह गये हैं।

#bycottchina सिर्फ बोलने से काम नहीं चलेगा अगर आप सच में चीन को समर्थन नहीं कर रहे हैं तो अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत कीजिये औरइन सभी से पीछा छुड़वा लीजिए। अगर समय रहते हमने यह कदम उठा लिया तो हम बहुत आगे बढ़ सकते हैं। आज ही आप अपने घर से ऐसी बेहूदा वस्तुओं को फेंक दीजिये और दूसरों को भी इस बारे में जागृत कीजिए। तभी हम असल में #bycottchina के साथ हो पाएंगे।

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