बॉम्बे हाई कोर्ट ने पहली बार दी गर्भपात की अनुमति
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पहली बार दी गर्भपात की अनुमति
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मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 25 सप्ताह की गर्भवती महिला को गर्भपात कराने की अनुमति प्रदान कर दी क्योंकि उसके गर्भ में पल रहा भ्रूण तंत्रिका तंत्र और अस्ति पंजर की गंभीर विकृति से ग्रस्त था. 28 वर्षीय इस महिला ने गर्भधारण के 22 सप्ताह बाद सोनोग्राफी कराई और भ्रूण के अनेक विकृतियों के ग्रस्त होने की बात सामने आने के बाद उसने अदालत का रुख किया था. क्योंकि कानून के मुताबित गर्भधारण के 20 सप्ताह के पश्चात गर्भपात वर्जित है.

न्यायमूर्ति एसएम केमकर और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने पिछले सप्ताह जेजे अस्पताल के डॉक्टरों के पैनल को महिला की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे. पीठ ने सोमवार को रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि चिकित्सक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि भ्रूण में गंभीर विकृतियां हैं और गर्भावस्था को जारी रखने पर मां को नुकसान पहुंच सकता है. इससे साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को चिकित्सीय गर्भ समापन की इजाजत देते हुए कहा, हम यह प्रकिया मंगलवार को ही जेजे अस्पताल में कराने का निर्देश देते हैं.

गौरतलब है कि  9 साल पहले भाईंदर की निकिता मेहता ने असामान्य भ्रूण के गर्भपात के लिए सबसे पहले 2008 में बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि कोर्ट द्वारा मंजूरी नहीं मिली थी. इसके 9 साल बाद सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में पहली बार गर्भपात की मंजूरी दी. स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोग कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए जरूरतमंद महिलाओं के लिए इसे बड़ा कदम बता रहे हैं.

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