केवट और भगवान
केवट और भगवान
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यह उस समय का प्रसंग है जब केवट भगवान के चरण धो रहा है, बड़ा ही सुखद और प्यारा दृश्य है, केवट भगवान का एक पैर धोता और उसे निकालकर कठौती से बाहर रख देता है, और जब दूसरा धोने लगता है तो पहला वाला पैर गीला होने से जमीन पर रखने से धूल भरा हो जाता है,

इस तरह केवट दूसरा पैर बाहर रखता है फिर पहले वाले को धोता है, एक-एक करके दोनों पैरो को सात-सात बार धोता है ।

फिर वह कहता है प्रभु अब आप एक पैर कठौती मे रखिये दूसरा मेरे हाथ पर रखिये, ताकि मैला ना हो 

जब भगवान ऐसा करते है, तो जरा सोचिये क्या स्थिति होगी, यदि एक पैर कठौती में है दूसरा केवट के हाथो में, तो भगवान दोनों पैरों से खड़े नहीं हो पाते हे तो वे बोले - केवट मै गिर जाऊँगा ?

केवट बोला - चिंता क्यों करते हो सरकार !

दोनों हाथो को मेरे सिर पर रखकर खड़े हो जाईये, फिर नहीं गिरेगे, जैसे जब कोई छोटा बच्चा हो और जब उसकी माँ उसे स्नान कराती है तो बच्चा भी तो उसकी माँ के सिर पर हाथ रखकर खड़ा हो जाता है, तो भगवान आज भी वैसे ही खड़े है।

भगवान केवट से बोले - भईया केवट ! मेरे अंदर का अभिमान आज पूरी तरह से टूट गया है

केवट बोला - प्रभु ! ये आप क्या कह रहे है ?

भगवान बोले - सच कह रहा हूँ केवट,अभी तक मेरे अंदर ये अभिमान था, कि मै ही भक्तो को गिरने से बचाता हूँ पर आज पता चला कि,भक्त भी भगवान को गिरने से बचाता है।

अगर आपके मन में सच्ची श्रद्धा और भक्ति हे और आपमें किसी प्रकार का कोई पाप नहीं हे तो सब कुछ संभव हे 

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