बेटियों के लिए खतरे की घंटी
दुनिया में कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच दक्षिण कोरिया की सियोल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अब खून जांच से ही लिंग परीक्षण का नया तरीका ईजाद करने का दावा किया । शोधकर्ताओं का दावा है कि अब ब्लड टेस्ट से ही गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग पता करने में कामयाबी मिल सकेगी। इस शोध के दौरान जिन 203 गर्भवती महिलाओं के खून का सैंपल लिये गये थे उनके बच्चों के पैदा होने के बाद पता लगा कि अध्ययनकर्ताओं का लिंग के बारे में अंदाजा एकदम सटीक था। खास बात यह है कि अल्ट्रासाउंड के विपरीत यह टेस्ट गर्भावस्था की पहली तिमाही के बाद ही किसी भी समय किया जा सकता है।
भारत में लिंग परीक्षण बैन भारत में अजन्मे बच्चे का लिंग पता करने के लिए अल्ट्रासाउंड का ही इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अल्ट्रासाउंड गर्भवस्था के पहले तीन महीनों में नहीं होता। बावजूद इसके, तमाम लोग इसका दुरुपयोग करते हैं। देश में अल्ट्रासाउंड से गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग पता लगाना निषिद्ध है, बावजूद इसके तमाम लोग गैरकानूनी तरीके से अल्ट्रासाउंड की मदद से बच्चे के लिंग का पता लगा लेते हैं और उसके बेटी होने पर गर्भपात करा देते हैं। इसी का नतीजा है कि देश के तमाम हिस्सों में अनुपात गड़बड़ा गया है।
सरकार सावधान रहे
दुनिया में भले ही, सिर्फ ब्लड टेस्ट की मदद से बच्चे का जेंडर पता करने की इस टेक्नोलॉजी को मेडिकल साइंस की दुनिया में एक बड़ा कदम माना जा रहा हो, लेकिन भारत जैसे देश के लिए यह खतरे की घंटी है। ब्लड टेस्ट से बेबी का जेंडर पता करने वाली नयी तकनीक का विकसित होना अच्छी बात है, लेकिन भारत जैसे देश में जहां, हर साल लाखों बच्चियों को जन्म लेने से पहले ही ठिकाने लगा देते हैं, वहां ऐसी सुविधाओं से बेटियों का जन्म लेना ही दूभर हो जायेगा। सरकार को सावधान रहना होगा, वरना इसका जबर्दस्त दुरुपयोग होगा।