विधानसभा चुनाव के बाद 2019 का रास्ता भाजपा के लिए हो सकता है मुश्किल
विधानसभा चुनाव के बाद 2019 का रास्ता भाजपा के लिए हो सकता है मुश्किल
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नई दिल्ली: देश में चुनावी मैदान तैयार होने के साथ साथ भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। जानकारी के अनुसार बता दें कि हालिया सियासी उठा पटक बता रही है कि 2019 आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए हालात कितने कठिन होने वाले हैं। यहां बता दें कि भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए का कुनबा लगातार सिमटता जा रहा है। कुछ बड़े दल भाजपा से अलग हो चुके हैं और कुछ दल भाजपा से बेहद नाराज हैं। जिसका सीधा असर 2019 के आम चुनाव में पड़ सकता है। 

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यहां बता दें कि बिहार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारत समाज पार्टी की भाजपा से नाराजगी ने मुश्किलों में और इजाफा किया है। इसके अलावा बता दें कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद 2019 का संग्राम शुरू हो जाएगा। विधानसभा चुनावों के परिणाम 2019 का सियासी मूड तय करेंगे। खास तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव के नतीजे बताएंगे कि आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली एनडीए की सत्ता वापसी की कितनी संभावना बनती है। वहीं बता दें कि जिस तरह से भाजपा के सहयोगी उसका साथ लगातार छोड़ रहे हैं, उससे तो फिलहाल पार्टी के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है।

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गौरतलब है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खेमे में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी नेताओं ने अपनी अपनी पार्टियां छोड़ दूसरी पार्टियों को ज्वाइन किया है। वहीं बता दें कि नेताओं के इस तरह से पार्टी बदलने के कारण पार्टी स्तर पर नेताओं की कमी भी होने लगी है। कई नेता ऐसे हैं जो बहुत समय से भाजपा और कांग्रेस में शामिल हैं और उन्हें टिकिट न मिलने से वे नाखुश हुए हैं। वहीं एनडीए में करीब 40 पार्टियां हैं लेकिन अधिकतर छोटी पार्टियां हैं। इनमें से करीब 14 पार्टियों के पास ही सांसदों की अच्छी संख्या हैं। भाजपा की एक महत्वपूर्ण सहयोगी रही तेलुगुदेशम पार्टी पहले ही एनडीए से अलग हो चुकी है। 

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