पाटीदार - क्षत्रिय गठजोड़ क्या गुल खिलाएगा ?
पाटीदार - क्षत्रिय गठजोड़ क्या गुल खिलाएगा ?
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कहते हैं एकजुटता में बड़ी ताकत होती है. यदि दो विरोधी दुश्मन एक हो जाएं तो सामने वाले की पराजय लगभग निश्चित हो जाती है. ऐसा ही कुछ गुजरात चुनाव में भावनगर में देखने को मिला है, जहाँ दो कट्टर दुश्मन पाटीदारों और क्षत्रियों ने गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतू वघानी को हराने के लिए हाथ मिला लिया है. ऐसे में भाजपा के लिए खतरा पैदा हो गया है.

उल्लेखनीय है कि यह खबर भाजपा के लिए नुकसानदायक है कि गुजरात चुनाव में जाति के मुद्दे पर पहली बार पटेल और क्षत्रिय ये दोनों ही जातियां गुजरात के प्रमुख सामाजिक समूह होकर परंपरागत रूप से एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं. लेकिन इस बार दोनों एक साथ बीजेपी के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. मिसाल के तौर पर देखें तो नितिनभाई गिलानी हार्दिक पटेल के जिला समन्वयक हैं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप सिंह हैं, वहीं गोहिल इलाके के क्षत्रीय एक्टिविस्ट हैं. इन दोनों ने गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतू वघानी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे दिलीप सिंह को समर्थन करने का निर्णय लिया है. ऐसी स्थिति कहीं ओर भी मिल सकती है.

बता दें कि वर्ष 1983 में भावनगर जिले के मानगढ़ में हुए विवाद में यह जिले के घातक संघर्षों में प्रमुख बन गया था लेकिन अब पाटीदार और क्षत्रीय एक दूसरे के विरोधी एक हो गए हैं.गिलानी ने कहा, हाल ही में एक जमीन के मुद्दे पर गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतू वघानी और कुछ स्थानीय कराडिया राजपूत आमने-सामने आ गए थे.उसके बाद से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था.भावनगर में विधानसभा की 7 सीट है. यहां 16.26 लाख मतदाता हैं. पाटीदार, क्षत्रीय और कराडिया राजपूत वहां 3.11 लाख हैं जो एक होने पर भाजपा का गणित बिगड़ सकते हैं.

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