नई दिल्ली : राजनीति के क्षेत्र में हाशिये पर पहुंचने वाली कांग्रेस अपने नेताओं की बयानबाजियों से खुद को जिंदा रखने का प्रयास कर रही है। हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने बिहार के राजनीतिक रण में अपने संवादों की गुगली डाल दी तो माहौल सरगर्म हो गया। मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने जनता परिवार में अलगाव और टूट का कारण भाजपा - सपा की मिलीभगत को बताया। उनका कहना था कि भाजपा यह निर्वाचन वोटों के धु्रवीकरण और सांप्रदायिकता पर लड़ने का मन बना रही है। उसने महागठबंधन से सपा को अलग कर दिया। और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो पैकेजिंग और रिपैकेजिंग में विशषज्ञ हैं ही जिस तरह से बड़े-बडे बोल-बोलकर वे लोगों को रिझाते हैं वह उनकी योग्यता है। अब तो अमेरिका के राष्ट्रपति भी उन्हीं से वाक् कला सीख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गंगा सफाई के नाम पर उसका नाम बदल दिया गया है। इस दौरान यह भी कहा गया कि कांग्रेस सरकार द्वारा गंगा सफाई अभियान में आईआईटी के विशेषज्ञ सम्मिलित थे और उसका एक स्पष्ट हल निकालने का प्रयास किया जा रहा था। मोदी सरकार यह काम साधु - संतों से करवा रही है। गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन पर जो मांग उठी उस दौरान हिंसा हुई और गुजरात के वाईब्रेंट गुजरात नारे के साथ इस माॅडल की पोल खुल गई। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का विज़न अच्छा है लेकिन यहां एक नहीं चार मुख्यमंत्री हैं इसलिए काफी मुश्किल है।