नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की सियासत भी अपने आप में एक अजूबा है। यहां की सभी सात लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है, तो विधानसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) का दबदबा है। अब अगर, नगर निगमों की बात करें तो यहां भी भाजपा के पैर मजबूत हैं। वहीं, फिलहाल केंद्र सरकार ने एक ऐसा दांव चला है, जिसने दिल्ली के सीएम और AAP अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल को सियासी तौर पर चारों खाने चित कर दिया।
दरअसल, भाजपा ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक ही कर दिया है। अभी तक पूरी दिल्ली में तीन नगर निगम थे। किन्तु अब ये तीनों एक होकर काम करेंगे। सबसे अहम बात ये है कि एक हुए निगम को अब फंड के लिए दिल्ली सरकार के समक्ष हाथ नहीं फैलाने होंगे। निगम को केंद्र सरकार से सीधा पैसा मिलेगा जिससे वो अपने कामकाज कर सकेगा। भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल सरकार तीनों नगर निगमों को पैसे के आवंटन में पक्षपात करती रही है। इसका खामियाजा पूरी तरह से भाजपा को उठाना पड़ता है। भाजपा का कहना है कि पैसा न होने से जनहित के काम वक़्त पर नहीं हो पाते, केजरीवाल सरकार पैसे पर कुंडली मारकर बैठी हुई है। और लोग समझते हैं कि भाजपा पार्षद काम करना ही नहीं चाहते। इससे भाजपा की खासी किरकिरी हो रही है। बता दें कि दिल्ली में अभी नगर निगम चुनाव होने वाले हैं।
वहीं, इस फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि हार के डर से पहले चुनावों को टाल रहे थे तो अब तीनों नगर निगमों को एक करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे तो गुजरात में भाजपा हारेगी तो कहेगी कि हम महाराष्ट्र के साथ गुजरात को विलय कर रहे हैं। कल को मोदी जी लोकसभा चुनाव हारते दिखे, तो चुनाव आयोग पर दबाव डालकर राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू कर देंगे। उधर, AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि नगर निगमों को एक करने का काम पहले भी किया जा सकता था। मगर चुनाव टालने के लिए ये काम भाजपा अब कर रही है। उनका कहना है कि भाजपा हार के डर से ये बचकाना कदम उठा रही है। किन्तु जनता इसे अच्छे से समझ रही है।
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