नई दिल्ली: दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शानदार जीत से राष्ट्रीय राजधानी की सियासत में परिवर्तन आ सकता है. वर्ष 2015 में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली प्रदेश की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) इन लोकसभा चुनावों में 70 विधानसभा सीटों में से एक सीट पर भी बढ़त हासिल नहीं कर सकी.
अगर लोकसभा चुनाव के रुझान कायम रहे तो विधानसभा चुनावों में 70 में से तीन सीटें जीतने वाली भाजपा 60 से अधिक सीटें जीत सकती है. वहीं विधानसभा चुनावों में खाता भी नहीं खोलने वाली कांग्रेस पांच सीटों पर जीत दर्ज सकती है. जहां 70 में से 65 विधानसभा सीटों पर भाजपा आगे रही, वहीं बाकी पांच सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली जिन सभी पर भारी संख्या में मुस्लिम मतदाता थे. आप प्रत्याशी सबसे अधिक दक्षिण और उत्तर-पश्चिम दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर रहे, वहीं बाकी शहर में कांग्रेस ने अपने खोए वोट प्राप्त कर दूसरा स्थान सुनिश्चित किया.
अगर आप का 2015 विधानसभा चुनावों में उभरना चमत्कारिक था, तो चार वर्षों बाद लोकसभा चुनावों में उसका पतन भी उतना ही हैरान करने वाला है. जब यहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, तो सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए यह खबर जरूर बुरी है. आप का सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा तुगलकाबाद सीट से रहा, जहां इसे 35.7 फीसद मत मिले और भाजपा के रमेश बिधूड़ी को 52.1 फीसद और कांग्रेस को केवल 7.8 प्रतिशत मत हासिल हुए.
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