हॉलमार्किग के नए नियमों से बढ़ेगी देश में सोने की शुद्धता
हॉलमार्किग के नए नियमों से बढ़ेगी देश में सोने की शुद्धता
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नई दिल्ली : सोना या सोने के आभूषण खरीदने वालों को यह जानकर राहत होगी की सरकार ने गत 1 जनवरी से ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) ने सोने की शुद्धता मापने के नियमों में बदलाव कर दिया है. बीआईएस द्वारा किए गए परिवर्तन के बाद देश में सोने की शुद्धता में चार गुना सुधार होने की संभावना है.

बीआईएस के नए नियम केअनुसार देश में हॉलमार्क सोने की ज्वैलरी अब तीन ग्रेड 14 कैरट, 18 कैरट और 22 कैरट में मिलेगी . हॉलमार्की की गई ज्वैलरी पर अब 4 तरह के निशान मौजूद रहेंगे. पहला, बीआईएस मार्क, दूसरा प्योरिटी(कैरेट में), तीसरा सोने में खारापन (उदाहरण 22 कैरेट सोने के लिए 22के916) और चौथा ज्वैलर्स के निशान के साथ-साथ हॉलमार्किग सेंटर की पहचान.

आपको बता दें कि देश में सोने की हॉलमार्किंग प्रक्रिया कानूनी तौर पर जरूरी नहीं है. लेकिन इसे सोने की शुद्धता पर मुहर लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और देश में लोग इस हॉलमार्किंग को देखने के बाद सोने की शुद्धता पर सवाल नहीं उठाते. भारत में हॉलमार्किंग प्रक्रिया गोल्ड मॉनेटाईजेशन स्कीम को सफल बनाने के लिए की जाती है जिसका लक्ष्य 8 बिलियन डॉलर से अगले पांच सालों में 40 बिलियन डॉलर तक ले जाना है

उल्लेखनीय है कि देश में लगभग 220 बीआईएस अधिकृत हॉलमार्किंग केन्द्र हैं. सर्वाधिक 57 केन्द्र तमिलनाडु और 39 केन्द्र केरल में हैं. दक्षिण भारत में कुल 153 केन्द्र हैं तो उत्तर भारत में मात्र 111 केन्द्र हैं. देश में प्रति वर्ष 800-1000 टन सोने की खपत होती है और लगभग पूरा सोना आयात किया जाता है.

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