राज्यसभा सदस्य, अभिनेत्री जया बच्चन को जन्मदिन की शुभेच्छा
राज्यसभा सदस्य, अभिनेत्री जया बच्चन को जन्मदिन की शुभेच्छा
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बिग बी अमिताभ बच्चन की पत्नी, राज्यसभा सदस्य और अपने ज़माने की मशहूर अभिनेत्री जया बच्चन का जिक्र आज उनके जन्म दिवस पर किया जा रहा है. अभिनेत्री के रूप में जया की भी अपनी विशिष्ट उपलब्धियाँ रही हैं और वे फिल्म क्षेत्र की आदरणीय अदाकाराओं में गिनी जाती हैं. जया ख्यात पत्रकार तरुण कुमार भादुड़ी की तीन पुत्रियों में सबसे बड़ी हैं. तरुण कुमार का वास्तविक नाम सुधांशु भूषण था. जया का जन्म 9 अप्रैल 1950 को हुआ. जया की दो छोटी बहनों के नाम नीता और रीता हैं. जया बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं. वे भोपाल के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में पढ़ती थीं. उन्होंने छःसाल तक भरतनाट्यम का प्रशिक्षण भी लिया था. वे दिलीप कुमार की फेन थीं.
 
हायर सेकंडरी पास करने के बाद जया ने पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में प्रवेश लिया था, लेकिन इससे पहले ही वे सत्यजीत राय की फिल्म 'महानगर' में काम कर चुकी थीं. एक दिन सत्यजीत राय ने 'महानगर' फिल्म के लिए जया को बुलाया क्योंकि फिल्मों की तरफ उनका झुकाव था. फिल्म पूरी होने के बाद सत्यजीत राय ने जया को जो प्रमाण-पत्र दिया था, उसका मजमून कुछ इस प्रकार था : 'अभी तक मैंने जितने भी नवोदित कलाकारों के साथ काम किया, जया उनमें शायद सबसे अच्छी थी.' जया ने फिल्म-इंस्टीट्यूट के आवेदन-पत्र के साथ इस सर्टिफिकेट की प्रति लगा दी थी. प्रशिक्षणार्थियों के चयन के लिए इंटरव्यू दिल्ली में हुए थे. इंटरव्यू लेने वालों में बलराज साहनी, कामिनी कौशल वगैरह थे. उन्होंने जया के कागजात देखने के बाद आपसी बातचीत में कहा था कि अगर इस लड़की को एडमिशन नहीं दिया, तो यह शताब्दी का सबसे बड़ा स्कैंडल बन सकता है .

ऋषिकेश मुखर्जी ने उन्हें देखते ही पसंद कर लिया था. मोहन स्टूडियो में 'गुड्डी' की शूटिंग शुरू हो गई. गुड्डी के सेट पर ही अमिताभ बच्चन, जलाल आगा और अनवर अली से जया की मुलाकात हुई थी. 1972 से 81 तक जया ने अमिताभ बच्चन के साथ कुल आठ फिल्में की हैं. ये हैं- बंसी-बिरजू/ एक नजर/ जंजीर/ अभिमान/ चुपके-चुपके/ मिली/ शोले और सिलसिला. 'कभी खुशी-कभी गम' में भी वे साथ-साथ आए थे. श्रीमती अमिताभ बच्चन बनने के बाद अपनी पृथक पहचान बनाए रखना लगभग असंभव था, लेकिन जया ने इसे संभव कर दिखाया.  इसे उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता कहा जा सकता है. अपनी पहली हिन्दी फिल्म 'गुड्डी' में उन्होंने अभिनेता धर्मेन्द्र की दीवानी-लड़की की भूमिका की थी, जबकि दूसरी फिल्म राजश्री की 'उपहार' में ऐसी अल्हड़लड़की का रोल किया था, जो प्रेम और शादी का अर्थ नहीं समझती है. इन दो फिल्मों के बाद ही उन्हें संजीदा अभिनेत्री के रूप में मान्यता मिल गई.
 
महिला दर्शकों ने जया को सादगी की साक्षात मूर्ति के रूप में ज्यादा सराहा, लेकिन ग्लैमरस भूमिकाओं में (दिल दीवाना) नकार दिया. अपने अपेक्षाकृत छोटे-से करियर में जया ने 'जवानी दीवानी/ अनामिका/ कोरा कागज/ कोशिश/ पिया का घर/ बावर्ची/ गाय और गौरी/ मन का आँगन/ नौकर/ नया दिन-नई रात/ परिचय/ फागुन/ समाधि/ शोर जैसी सात्विक फिल्मों में काम किया. वे आज अपने सफलतम करियर के बाद एक बेहद सुलझी हुई पत्नी, माँ, साँस और अन्य परिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए राज्यसभा सदस्य की भूमिका में भी सक्रीय है.    

 

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