style="text-align: justify;">वैसे तो कई स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की आज़ादी के लिए हसते हसते फांसी का फंदा चुम लिया था। भारत की भूमि पर अनेकों शहीदों ने क्रांति की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देकर आजादी की राहों को रोशन किया है पर शायद एक चेहरा और था जिन्होंने भारत की आज़ादी में अहम भूमिका निभाई थी।
वो थे सूर्य सेन जी, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे।
सूर्य सेन जी का जन्म 22 मार्च 1894 को हुआ था। उनके पिता श्री रामनिरंजन जी चटगाँव में नोअपारा में शिक्षक थे। सूर्य सेन जी की शिक्षा-दीक्षा चटगाँव में ही हुई। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के अनुसार घटना 18 अप्रैल 1930 को शुरू हुई थी।
जब बंगाल के चटगांव में आजादी के बहुत से दीवानों ने अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने के लिए इंडियन रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) का गठन कर लिया।
उन्होने चटगांव विद्रोह का सफल नेतृत्व किया।
वे नेशनल हाईस्कूल में सीनियर ग्रेजुएट शिक्षक के रूप में कार्यरत थे और लोग प्यार से उन्हें "मास्टर दा" कहकर सम्बोधित करते थे। अंग्रेजों ने उन्हें 12 जनवरी 1934 को मेदिनीपुर जेल में फांसी दे दी गई। हम उनके इस बलिदान को हमेशा याद रखेंगे।