जन्मदिन विशेष: जाने- साहित्य के बुद्ध 'जयशंकर' के जीवन से जुडी कुछ ख़ास बातें
जन्मदिन विशेष: जाने- साहित्य के बुद्ध 'जयशंकर' के जीवन से जुडी कुछ ख़ास बातें
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देश-विदेश मे अनेको कवि, नाटककार, कथाकार, उपन्यासकार और निबन्धकार हुए. परन्तु, आज बहुत कम कवि को ही उनकी लेखनी या रचना के बलबूते याद किया जाता हैं. इन्ही कम कवि मे से एक हैं, भारत के महान साहित्यकार 'जयशंकर प्रसाद'. प्रसाद को साहित्य जगत का बुद्ध भी कहा जाता हैं. जयशंकर प्रसाद का जन्म आज ही के दिन 30 जनवरी 1889 को हुआ था. कहा जाता है कि, उन्हें कविता, उपन्यास, आदि लिखने की सीख अपने घर-मोहल्ले के विद्वानों की संगत से मिली.

जहां विश्व साहित्य मे वे बुद्ध  के नाम से जाने जाते थे. वहीं, भारतीय साहित्य मे वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे. कविता हो कहानी हो या उपन्यास हो. वे साहित्य की हर विधा मे पारंगत थे. उन्होंने कई रचनाये रची जिनमे कामायनी, आंसू, कानन-कुसुम, प्रेम पथिक, झरना और लहर प्रमुख रचना मे शामिल हैं. प्रसाद ने हिंदी-उर्दू सहित संस्कृत, फारसी की शिक्षा भी प्राप्त की. प्रसाद ने कुल 72 कहानियां लिखी. 48 वर्ष की अल्प उम्र मे 14 जनवरी 1937 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा. 

जयशंकर प्रसाद की कुछ महत्वपूर्ण कविताएं...

- पुन्य औ पाप न जान्यो जात
- जीवन कितना? अति लघु क्षण,
- सब तेरे ही काज करत है और न उन्हे सिरात
- इन आंखों की छाया भर थे
- सखा होय सुभ सीख देत कोउ काहू को मन लाय
- वे कुछ दिन कितने सुंदर थे ?
- जब सावन घन सघन बरसते
- तुम्हारी आंखों का बचपन !
-खेलता था जब अल्हड़ खेल,
-अजिर के उर में भरा कुलेल,
-हारता था हंस-हंस कर मन

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