सबसे कम उम्र में साहित्य अकादमी का पुरस्कार पाकर बने महान, लेकिन शराब की लत ने ले ली जान
सबसे कम उम्र में साहित्य अकादमी का पुरस्कार पाकर बने महान, लेकिन शराब की लत ने ले ली जान
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नई दिल्ली: शिव कुमार 'बटालवी' का जन्म आज ही के दिन सन 1936 में हुआ था, वे पंजाबी भाषा के एक मशहूर कवि थे, जो उन रोमांटिक कविताओं के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं, जिनमें भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण मौजूद है। वे 1967 में वे साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले सबसे कम आयु के साहित्यकार बने थे। 

शिव कुमार 'बटालवी' को भारत की साहित्य अकादमी द्वारा यह सम्मान पूरण भगत की प्राचीन कथा पर आधारित उनके महाकाव्य नाटिका लूणा (1965) के लिए दिया गया था, जिसे आधुनिक पंजाबी साहित्य की एक महान कृति के रूप में देखा जाता है और जिसने आधुनिक पंजाबी किस्सागोई की एक नई शैली को स्थापित किया। आज उनकी कविता आधुनिक पंजाबी कविता के अमृता प्रीतम और मोहन सिंह जैसे दिग्गज कवियों के बीच सिर उठाए बराबरी के स्तर पर खड़ी है, जिनमें से सभी भारत- पाकिस्तान बॉर्डर के दोनों तरफ लोकप्रिय हैं।

उनके लेखन में उनकी चर्चित मौत की इच्छा हमेशा से झलकती रही है और 7 मई 1973 में महज 36 वर्ष की आयु में शराब की दुसाध्य लत की वजह से हुए लीवर सिरोसिस के परिणामस्वरूप पठानकोट के किरी मांग्याल में अपने ससुर के घर पर उनका देहात हो गया और भारतीय साहित्य का ये दमकता सूरज हमेशा के लिए अस्त हो गया । 

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