रॉयल इंडियन नेवी की नौकरी छोड़कर, गीतकार बनने मुंबई पहुँच गए थे 'आनंद बख्शी'
रॉयल इंडियन नेवी की नौकरी छोड़कर, गीतकार बनने मुंबई पहुँच गए थे 'आनंद बख्शी'
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21 जुलाई 1930 को जन्मे आनंद बख्शी लोकप्रिय भारतीय कवि और फ़िल्मी गीतकार थे। ब्रिटिश काल के भारत के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी शहर, जो कि अब पाकिस्तान में है में इनका जन्म हुआ था। 1947 में विभाजन में उनका परिवार लखनऊ में आकर बस गया। उन्होंने रॉयल इंडियन नेवी में बतौर कैडेट कार्य किया था, किन्तु वहां उनका मन नहीं लगा और वह गायक बनने बम्बई पहुँच गए।

सबसे पहले उन्हें 1958 में भगवान दादा की फिल्म भला आदमी में गीत लिखने का अवसर मिला। हालांकि उन्हें अपने करियर की पहचान 1962 की मेहेंदी लगी मेरे हाथ से मिली। फिर 1965 की फिल्म जब जब फूल खिले के सभी गाने काफी प्रसिद्ध रहे थे। उसी वर्ष की फिल्म हिमालय की गोद में का गीत ‘चांद सी महबूबा हो मेरी’ उन दिनों काफी अधिक पसंद किया गया था। 1967 की मिलन के गीत ‘सावन का महीना पवन करे शोर’ के बाद वह एक कामयाब गीतकार बन गए थे।

1969 की सुपरहिट फिल्म आराधना के गीत भी उन्होंने लिखें थे। इसका 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू' को गायक किशोर कुमार, अभिनेता राजेश खन्ना और संगीतकार आर डी बर्मन की कामयाबी में बहुत क्रेडिट दिया जाता है। आगे चलकर इन लोगों की जुगलबंदी में कई और सुपरहिट गीत बने। इसके बाद वो 2002 में अपने निधन तक आनंद बख्शी सक्रिय रूप से गीत लिखतें रहे। अपने 40 वर्षों से अधिक के करियर में उन्होंने तक़रीबन 600 फिल्मों के लिये 4 हजार से ज्यादा गीत लिखें। उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिये 40 बार नामांकित किया गया, जिसमें उन्हें 4 बार यह पुरस्कार मिला।

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