बिहार की वार्षिक वृद्धि दर 10.5 फीसदी
बिहार की वार्षिक वृद्धि दर 10.5 फीसदी
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पटना : बिहार की नितीश कुमार सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण में दावा किया गया है की हाल के दशक में प्रदेश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में निरंतरता को दर्शाये जाने के साथ वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच इस बिहार राज्य की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर 10.52 फीसदी रही जो कि देश के सभी प्रमुख राज्यों के बीच लगभग सबसे अधिक है.

बिहार विधानमंडल के आज से शुरू बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी द्वारा बिहार विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 में हाल के दशक में प्रदेश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में निरंतरता को दर्शाये जाने के साथ वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच इस राज्य की अर्थव्यवस्था 10.52 फीसदी की वार्षिक दर से विकसित हुई जो कि देश के सभी प्रमुख राज्यों के बीच लगभग सबसे अधिक है. बाद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए सिद्दीकी ने कहा कि वर्ष 2012-13 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय संपूर्ण भारत के औसत का 37.0 फीसदी थी जो 2014-15 में बढ़ते हुए 40.6 फीसदी हो गयी.

उनके मुताबिक वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 6.02 फीसदी रही है. सिद्दीकी ने बताया कि वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच 15 फीसदी से अधिक विकास दर दर्ज करने वाले क्षेत्र में संचार :25.38 फीसदी, निबंधित विनिर्माण :19.31 फीसदी, निमार्ण :16.58 फीसदी, बैकिंग एवं बीमा :17.70 फीसदी और परिवहन, भंडार एवं संचार :15.08 फीसदी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार करों के विभाज्य पूल में बिहार का हिस्सा 10.91 फीसदी से घटकर 9.66 फीसदी रह गया.

इसका अर्थ चौदहवें वित्त आयोग की अवधि के दौरान बिहार को लगभग 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान है. सिद्दीकी ने कहा कि पूंजीगत निवेशों मे प्रचुर वृद्धि :8,954 करोड़ रुपये: के कारण बिहार का राजकोषीय घाटा 2010-11 के 3,970 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-15 में 11,178 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इसके बावजूद सकल राजकोषीय घाटा एफआरबीएम अधिनियम द्वारा निर्धारित 3 फीसदी की सीमा के पर्याप्त नीचे है.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में राजस्व प्राप्ति में गत वर्ष से 9,499 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई और यह 78,418 करोड़ रुपये हो गयी. वहीं 2014-15 में राजस्व व्यय 10,093 करोड़ रुपये बढ़कर 72,570 करोड़ रुपये हो गया. राज्य व्यय में वृद्धि का कारण विकास मूलक व्यय में 57 फीसदी 5,703 रुपये: की वृद्धि है. सिद्दीकी ने कहा कि वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक के पांच वर्षों के दौरान कुल राजस्व प्राप्तियां 44,532 करोड़ रुपये से 1.76 गुनी बढ़कर 78,418 करोड़ रुपये हो गयी. इसके साथ ही कर और करेतर को मिलाकर अपना कुल राजस्व इस अवधि में 20 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ा और 10,855 करोड़ रुपये से 22,309 करोड़ रुपये हो गया.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में कुल पूंजीगत परिव्यय 18,150 करोड़ रुपये था. इसमें से 14,728 करोड़ रुपये का व्यय आर्थिक सेवाओं पर किया गया जिसका लगभग 28 फीसदी हिस्सा 4,177 करोड रुपये सड़कों एवं पुलों की अधिसंरचना के निर्माण पर खर्च हुआ. सामाजिक सेवाओं पर पूंजीगत परिव्यय ।,674 करोड़ रुपये था. इसमें से 19 फीसदी हिस्सा 315 करोड़ रुपये राज्य में स्वास्थ्य अधिसंरचनाओं के निर्माण और उनमें सुधार पर, 53 फीसदी 885 करोड़ रुपये जलापूर्ति एवं स्वच्छता में सुधार पर तथा 16 फीसदी 263 करोड रुपये शैक्षिक अधिसंरचना के निर्माण पर खर्च हुआ.

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