बिहार में इलेक्शन से पहले ही बीजेपी की बल्ले- बल्ले, तेजस्वी को लग सकता है बड़ा झटका
बिहार में इलेक्शन से पहले ही बीजेपी की बल्ले- बल्ले, तेजस्वी को लग सकता है बड़ा झटका
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पटना: बिहार के दो बिहारी राज्य की डबल इंजन की सरकार के ड्राइवर सीएम नीतीश कुमार को बड़ा झटका देने के लिए तैयार है। दिलचस्प है कि दोनों बिहारी न केवल युवा हैं, बल्कि अपनी पार्टी की राजनीति के वाहक भी हैं। ये युवा हैं लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान और RJD के सीएम पद के घोषित उम्मीदवार तेजस्वी यादव। रोचक पक्ष यहीं समाप्त नहीं होगा। बिहार की अस्मिता के मामले पर चुनाव लड़ रहे चिराग पासवान, ठेठ बिहारी की स्टाइल में राजनीति करने वाले तेजस्वी को अपना छोटा भाई कह रहे है।
 
खुद चिराग पासवान का बोलना है कि उन्हें आसान रास्ता चुनना है तो RJD के छोटे भाई तेजस्वी यादव से हाथ मिला सकते थे। जंहा अंदर खाने में यह खिचड़ी भी पकाई जा रही है। जिस तरह से नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को जद (यू), बीजेपी के खेमे में जोड़कर चिराग और तेजस्वी को हैरान कर दिया है, ठीक उसी तरह से चिराग का मनोबल तेजस्वी ने भी बढ़ा दिया है। चिराग को बीजेपी नेताओं से ऊर्जा मिली और उन्होंने नीतीश कुमार को उससे बड़ा झटका देने के लिए अपनी जिद बना ली है। चिराग की इस घोषणा ने सबको हैरान कर दिया कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में जद (यू) के विरोध प्रत्याशी उतारेगी। बीजेपी और NDA के साथ जुड़ी रहेगी। बीजेपी के साथ फ्रेंडली फाइट होगी और लोजपा बिहार में जद (यू) की 'जड़ों में मट्ठा' डालने का कार्य करने वाली है।

नीतीश कुमार ने राम विलास और चिराग की लोजपा को चित करने के लिए मांझी की 'हम' को साथ लाया है। यह तेजस्वी  पर निशाना साधा है। अब चिराग ने जो किया है, वह JDU के लिए झटका है। महादलित के नेता नीतीश कुमार के साथ गए तो बिहार में दलितों की पार्टी ने रुख मोड़ लिया है। वोटों की काट में नीतीश कुमार का गणित कुछ अधिक गड़बड़ाता जा रहा है। जंहा इस बात का पता चला है कि बिहार की राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुसलमान पहले से नीतीश की समझौतावादी नीतियों को लेकर भड़का हुआ है। बाढ़ और कोविड-19 संक्रमण काल में मजदूरों के घर लौटने और बिहार सरकार के स्टैंड ने भी निचले तबके में खास नाराजगी  की नीव कड़ी कर दी है। दूसरे उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा ने राजद का साथ राजग की आस में छोड़ा, लेकिन नीतीश के राजनीतिक अहंकार ने उसे भी यहां आने भी नहीं दिया है। जबकि उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा भी कोइरी, कुशवाहा समाज को बढ़ावा दे रही है । यह नीतीश कुमार की कुर्मी बिरादरी के साथ जुड़ने वाली जाति है। कुशवाहा बसपा के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। कुल मिलाकर दलित वोटों का भी JDU को झटका लगने के पूरे आसार हैं।

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