बिहार चुनाव की रणभेरी बजने के बाद से ही पूरे देश भर की निगाहें अब बिहार के चुनाव पर ठहर गई है...। राजनीतिक दलों के लिए तो यह चुनाव महत्वपूर्ण है ही, देश के लोग भी यह जानना चाहते है कि क्या मोदी का जादू बिहार में चल सकेगा...। जिस तरह से नरेन्द्र मोदी ने अपनी पार्टी को लोकसभा से लेकर हरियाणा या फिर महाराष्ट्र के चुनाव में जीत दर्ज कराने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है या फिर जम्मू कश्मीर में भाजपा को वर्चस्व दिलाया है, उससे यह बात समझ में आ रही है कि हो सकता है कि मोदी की जादू की छड़ी बिहार में भी चले और भाजपा सत्तासीन हो जाए...।
वैसे बिहार की राजनीति में लालूप्रसाद यादव जैसे राजनेता का बोलबाला रहा है वहीं नितीश कुमार जैसे घाघ राजनीतिज्ञ भी लालू के साथ खड़े हुए है तो वहीं हाल ही में पूरे जनता दल परिवार को एक जाजम पर लाकर खड़ा कर दिया गया है, और यह कार्य केवल मोदी के रथ को रोकने के लिए किया गया है, यह बिल्कुल साफ है, बावजूद इसके भाजपा को विश्वास है कि हो न हो मोदी जादू कर दिखाएंगे तथा भाजपा बिहार में सत्तासीन होने का ख्वाब देख रही है वह ख्वाब पूरा हो जाए..। लब्बे लुआब यह कहना अभी बिल्कुल भी उचित नहीं होगा कि बिहार में मोदी की जनसभाओं ने बिहारी मतदाताओं पर जादू कर दिया है या फिर केन्द्र सरकार ने बिहार के लिए जो पैकेज दिया है,
उससे मतदाताओं का मानस बदल गया हो लेकिन भाजपा के कर्ताधर्ता जिस तरह से बिहार में प्लानिंग के साथ जोर आजमाईश करने में जुटे हुए है, उससे यह भी एहसास हो रहा है कि भले ही पूरी सीटों पर भाजपा को सफलता प्राप्त नहीं हो, लेकिन लालू यादव व उनके साथी दलों के साथ ही बिहार की राजनीति में अपनी पैठ रखने वाले अन्य राजनीतिक दलों को नानी जरूर याद दिला दी जाएगी। जिस तरह से जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में भाजपा ने अपनी घुसपैठ की है उससे भाजपा के हौसले अभी तक बुलंद है तथा निश्चित ही बिहार के चुनाव में भी भाजपा येन-केन-प्रकारेण अपनी घुसपैठ करने का पूरा प्रयास करेगी...।