बिहार के चुनावी मैदान में बेटों के साथ-साथ दामादों की भी फजीहत
बिहार के चुनावी मैदान में बेटों के साथ-साथ दामादों की भी फजीहत
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पटना : इस साल का बिहार चुनाव नेक्स्ट जनेरेशन के लिए भी शुभ रहा। बिहार के पुराने दिग्गजों के बेटे भी जनता को भा गए और उन्हें भी दिल खोलकर वोट दिया गया। 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव राजद सुप्रीमो लालू यादव के दोनो बेटों के लिए भी खास रहा। तेज प्रताप और तेजस्वी यादव दोनो ने सफलता का पहला स्वाद चखा। इसके साथ ही पू्र्व सांसद शिवानंद तिवारी के बेटे मंटू तिवारी ने भी चुनावी जीत दर्ज की।

हांला कि कई जगहों पर आलम यह भी रहा कि पिता के बाद पुत्र को मुंह की खानी पड़ी। खुद का मोहभंग कर अपने बेटो को बड़ी मशक्कत के बाद टिकट दिलाया और फिर भी हार का सामना करना पड़ा। कम से कम भाजपा और हम पार्टी के लिए तो यह वाकई पानी-पानी करने वाला रहा।

बीजेपी नें भागलपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के नेता व सांसद अश्विनी कुमार चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को टिकट दिलाया, जो कि ऑस्ट्रेलिया रिटर्न थे। इसी तरह बीजेपी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर ने अपने पुत्र विवेक ठाकुर को टिकट दिलाया। नतीजा बीजेपी के उल्ट गया और दोनो हार गए।  इसी तरह बीजेपी ने अपने तीसरे सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव को केवटी विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट दिया पर वो भी हार गए।

इसी तरह से हम के नेता जीतन राम मांझी ने अपने पुत्र संतोष कुमार सुमन को कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था। इसी कड़ी में हम व प्रदेश के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह के दोनों पुत्र भी हार गये। उनके बड़े पुत्र अजय प्रताप जमुई विधानसभा क्षेत्र से जबकि छोटे पुत्र सुमित सिंह चकाई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार थे। दोनों को ही मुहँ की खानी पड़ी।

इसी कड़ी में दामादों की भी फजीहत हुई। लोजपा के सर्वेसर्वा राम विलास पासवान ने अपने दोनो दामादों राम नाथ रमन और अनिल कुमार साधु को पार्टी का टिकट दिलाया पर दोनो ही हार गए।     

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