भूल ग़लती / गजानन माधव मुक्तिबोध
भूल ग़लती / गजानन माधव मुक्तिबोध
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भूल-ग़लती....
आज बैठी है ज़िरहबख्तर पहनकर
तख्त पर दिल के, 
चमकते हैं खड़े हथियार उसके दूर तक,
आँखें चिलकती हैं नुकीले तेज पत्थर सी,
खड़ी हैं सिर झुकाए

सब कतारें 
बेजुबां बेबस सलाम में,

अनगिनत खम्भों व मेहराबों-थमे 

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