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                  मेडिकल रिपोर्ट के साथ बलात्कार
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              मेडिकल रिपोर्ट के साथ बलात्कार

 

पढ़ने में थोडा अजीब जरुर है क्योकि आजतक ये शब्द महिला यौन उत्पीडन में ही उपयोग होता था पर एक रिपोर्ट के साथ बलात्कार ?

लेकिन बदकिस्मती से सच है | मध्यप्रदेश की राजधानी में एक 19 साल की लड़की या यूं कह ले भविष्य की प्रशासनिक अधिकारी क्योकि वो प्रशासनिक सेवाओ में परीक्षा की तैयारी कर रही थी शाम 7 बजे कोचिंग से लौट रही होती है तभी 4 हैवानो द्वारा उसे बड़े ही वहशी तरीके से नोचा जाता है | वो बहादुर लडकी इस दरिंदगी को सहने के बाद भी अपने अदम्य साहस से न्याय के लिए आवाज़ उठती है | और गुनाहगारो को सज़ा दिलाने के लिए थानेदार,दरोगा, एफआईआर ना जाने कहा-कहा और कितनी बार उस असहनीय पीड़ा के साथ अपनी बर्बादी की दास्ताँ सुनती है | और फिर उस घायल को घंटो एक थाने से दुसरे थाने तक भटकाने के बाद हमारे देश की आदर्श पुलिस बड़ी ही मुस्तेदी और फुर्ती से बलात्कार के 11 घंटे बीत जाने पर रिपोर्ट, दर्ज कर ही लेती है इस फुर्ती और तत्परता लिए उन पुलिसवालो को इनाम मिलना चाहिए था, फिर भी उनका निलंबन किया गया मुझे इसका दुःख है | हमेशा की तरह कुछ वर्दीधारी सस्पेंड हुए, विपक्ष ने सरकार को कोसा, किसी ने किसी से इस्तीफा माँगा, मुख्यमंत्री दुःख में रातभर सो नही सके, जांच करने वाले फाइलें इकट्ठा करने लगे और लोग गली नुक्कड़ चोराहो पर गुटका चबाते हुए अपने-अपने नजरिया थूकते रहे |

लेकिन ये बलात्कार यही ख़तम नही हुआ दोबारा फिर हुआ तब, जब सुल्तानिया हॉस्पिटल में उस लडकी का मेडिकल चेकअप हुआ, भगवान कहलाने वाले डॉक्टर का ध्यान भटक गया और बलात्कार ,सहमती में बदल गया |

क्या बीती होगी उस लडकी पर इसे सुनकर, उस दर्द की व्याख्या करने की ताकत मेरी कलम में तो नही है |

क्या ये दर्द उस बलात्कार के दर्द से कम होगा जो उसने 4 घंटो तक सहा था|

और फिर अस्पताल के जिम्मेदारो ने इस भयानक चूक को नई डॉक्टर की साधारण भूल बताकर,

क्या फिर उस लड़की के साथ दोबारा बलात्कार नही किया ? जितने दोषी वो 4 बलात्कारी है क्या उतना ही दोष व्यवस्था का नही है जो पशुता की पराकाष्ठा पार कर चुकी इस घटना के प्रति उदासीन रहा | क्या इस भयानक त्रुटी के लिए कारण बताओ नोटिस या निलंबन पर्याप्त है |

वो एक रिपोर्ट केवल पीड़िता को न्याय ही नहीं दिलाएगी  बल्कि समूचे समाज को बचाएगी उन चार हैवानो से जो खुलेआम घुमने पर न जाने और भी कितनी होनहार कन्याओ का शिकार करते | और उस मेडिकल  जांच में ही, लापरवाही करने वाला इन 4 बलात्कारियो के साथ पांचवा साथी नही हो गया | ऐसे इंसान को रिपोर्ट का बलात्करी मानना चाहिए या नही ये मैं आप पर छोड़ता हु |

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वालो के लिए ये सोचने का समय आ गया है कि हालत अगर इसी तरह बिगड़ते रहे तो एक दिन माता-पिता बेटी को बचाने के लिए उसे पढ़ाना,बाहर भेजना ही छोड़ देंगे |अपराध रोका नही जा सकता मगर अपराध से न्याय तक की लम्बी यात्रा के हर पडाव पर हर जिम्मेदार को तो अपनी जिम्मेदारी पुरी ईमानदारी से निभानी ही चाहिए तभी तो फरियादी को इंसाफ मिल सकेगा |

मेरी सोच का सिमित दायरा तो यही कहता है कि इस बलात्कार में दोषी केवल 4 नही बल्कि वो सभी है जिन्होंने या तो अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से नही निभाया या उसमे लापरवाही की , किसी ने शारीरिक बलात्कार किया तो किसी ने मानसिक बलात्कार, नारी अस्मिता को लहूलुहान करने वाले ऐसे संगीन मामलों में जिम्मेदारो की गैरजिम्मेदारी के लिए क्या दंड विधान होना चाहिए इसका फैसला में आप पाठको के विवेक पर छोड़ता हूँ, मेरा मार्गदर्शन कीजिये |

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