उज्जैन : इन दिनों मध्यप्रदेश के धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन नगर में साधुओं और संतों का जमावड़ा लगा हुआ है। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में चित्र -विचित्र साधु संत पहुंच रहे हैं। कहीं संतों को मुखारविंद से भागवत् कथा और श्री रामचरित्र का गायन हो रहा है तो कहीं साधु अपनी साधनाओं में लीन हैं। ऐसे ही साधुओं में से एक साधु उजड़खेड़ा से मुल्लापुरा क्षेत्र के बीच स्थित श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा में विराजमान हैं।
खास बात यह है कि महंत भोलानाथ गिरी ने वर्षों से अपने हाथ को उपर रख रखा है। साधु महात्मा अलग ही साधना में लीन हैं। इनका एक हाथ वर्षों से ही उपर है तो उसी हाथ का नाखून बढ़ा हुआ है। यह इनकी हठ साधना का एक भाग है।
इन्हीं के पांडाल में एक विशेष अगरबत्ती लोगों के कौतूहल का केंद्र है। यह अगर बत्ती गौ धूप अगरबत्ती कहलाती है जो कि कंडे, हवन सामग्री और वातावरण को शुद्ध करने वाले अन्य तत्वों और जड़ी - बूटियों से बनी है। इस अगरबत्ती की लंबाई करीब 121 फीट है।
गुजरात राज्य से अगरबत्ती साथ लेकर आए श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़े के संत श्री महंत भगवान गिरी बापू ने कहा कि यह अगर बत्ती बेहद अद्भुत है। इस अगर बत्ती की परिक्रमा मात्र से ही सारी मनोकामनाऐं पूर्ण हो जाती हैं। यह अगर बत्ती बेहद अद्भुत है।
अद्भुत हैं जटाऐं
साधु संत अपनी अद्भुत जटाओं के लिए जाने जाते हैं। ऐसे ही एक संत सिंहस्थ मेले में आए हैं। इन संत का नाम सरवणदास जी महाराज हैं। हरियाणा के फतेहाबाद जिले के छोटे से ग्राम रतिया के निवासी बाबा रामघाट स्थित बड़ा उदासीन अखाड़े में निवास कर रहे हैं। दरअसल इनकी जटाऐं 16 फीट लंबी हैं। इन जटाओं को धोने में करीब 5 घंटे लग जाते हैं। बाबा करीब 70 वर्ष आयु के हैं। वे 50 वर्ष से जटाओं को संभाल रहे हैं और रीठा लगाते हैं।