आप सभी को बता दें कि माघ मास में जिन तिथियों का विशेष महत्व है, उनमें से एक है भीष्म अष्टमी. जी हाँ, कहते हैं यह माघ माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को होती है और इस दिन भीष्म पितामाह को याद करना चाहिए. इस व्रत के नाम से ही पता चलता है ये दिन भीष्म पितामह को समर्पित है और इस दिन व्रत, दान का फल कई गुना अधिक हो जाता है. आप सभी को बता दें कि इस बार ये तिथि 13 फरवरी को यानी आज मनाई जा रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्यों महत्वपूर्ण है यह तिथि.
महत्वपूर्णता- कहते हैं महाभारत के भीष्म पितामह ने इसी दिन प्राण त्यागे थे. इस तिथि पर व्रत, दान का काफी महत्व है. ज्योतिषों के अनुसार इस दिन श्राद्ध करने को आवश्यक बताया गया है. कहा जाता है इस दिन जो व्रत रखता है उसे भीष्म पितामह के समान संस्कारी व सुयोग्य संतान प्राप्त होती है.
क्या है कथा - आप सभी को बता दें कि इसके पीछे एक कथा है जो इस प्रकार है. भीष्म पितामह ने ब्रह्मचर्य का वचन लिया था. उन्होंने जीवनभर पालन किया. उन्हें वरदान था कि वे अपनी मृत्यु का समय स्वयं निश्चित कर सकते हैं. महाभारत युद्ध के समय घायल होने के बाद उन्होंने देह त्यागने के लिए माघ माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को चुना.
क्या करें इस दिन - ज्योतिषों के अनुसार इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध का नियम बताया गया है क्योंकि इससे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. अगर आज आप व्रत रखते हैं तो पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है. इसी के साथ आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की पंरपरा है और खासतौर पर गंगा स्नान की, क्योंकि वे ही भीष्म की मां हैं.
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