भय्यू महाराज सिद्ध संत नहीं थे, न जाने किसने उन्हें उपाधि दे दी-पवन दास शास्त्री
भय्यू महाराज सिद्ध संत नहीं थे, न जाने किसने उन्हें उपाधि दे दी-पवन दास शास्त्री
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राष्ट्रीय संत भय्यू जी महाराज ने कल आत्महत्या कर ली. आज उनका अंतिम संस्कार भी हो गया जिसमे देश कि कई बड़ी हस्तियां मौजूद थी. हमेशा विवादों से घिरे रहे भय्यू महाराज की मौत पर अयोध्या के संत समाज ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि आत्महत्या का कारण कोई न कोई जरूर था. यह रहस्य है और जिस तरह से भय्यू जी का जीवनवृत्त रहा उससे संदेह और भी बढ़ जाता है. कहीं ना कहीं उन्हें सामाजिक अपराध का बोध जरुर हुआ होगा, तभी उन्होंने आत्महत्या जैसे घृणित कार्य किया. इसकी जांच होनी चाहिए कि आखिर वह रहस्य क्या है?
 

उन्होंने कहा कि यह भी पता चला है कि आत्महत्या से पहले एक महिला उनसे मिलने पहुंची थी. हो सकता है उसी ने कोई धमकी दी हो. उस महिला की खोज हो रही है. उस महिला से ही पता चलेगा कि उनके ऊपर क्या आरोप थे और उन्होंने क्यों ऐसा कदम उठाया.

 संत समिति के महामंत्री आचार्य पवन दास शास्त्री ने कहा कि भय्यूजी महाराज का जीवनवृत विलासितापूर्ण रहा है. वे संप्रदाय सिद्ध संत भी नहीं थे. न जाने किन लोगों ने उन्हें संत की उपाधि दे दी. उन्हें जरूर अपराधबोध हुआ होगा जिसके कारण इस तरह का कदम उठाना पड़ा. शास्त्री ने कहा कि मनुष्य को उसके कर्मों का फल यहीं मिलता है. अच्छे और बुरे कर्मों का फल भी यहीं भोगना पड़ता है. भय्यू जी को भी अपने कर्मों का फल मिला.

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