केंद्र सरकार के इस नीति से भारतीय मजदूर संगठन खफा, मनाने में जुटी सरकार
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नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस को भगवा परिवार का पितृ संगठन कहा जाता है। इसलिए केंद्र की नीतियों में कई बार इसके विचारधारा का प्रभाव दिखता है। मगर आर्थिक मोर्चे पर संघ के अनुषांगिक संगठनों भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार की नीतियों की अक्सर मुखालपत की है। बीएमएस ने सरकारी उपक्रमों को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर नाराजगी जताई है। बीएमएस ने सरकारी उपक्रमों के निजीकरण की आशंका जताते हुए 15 नवंबर को विभिन्न कर्मचारी संघों की बैठक बुलाई है। बीएमएस ने कहा है कि इस बैठक में सभी यूनियनों के साथ बातचीत कर भावी रणनीति तैयार की जाएगी।

बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने बताया, पीएसयू को लेकर वर्तमान सरकार की नीति ठीक नहीं है। उसकी नीतियों से यह आशंका उपज गई है कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले विभिन्न पीएसयू का निजीकरण करना चाहती है। इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में पीएसयू के लेकर बेहद खराब नीतिगत फैसले लिए गए थे, इन पर रोक लगाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हम विभिन्न यूनियनों को लामबंद करने में जुटे हैं। 15 नवंबर की बैठक में सात क्षेत्रों के पीएसयू से जुड़े संघ हिस्सा लेंगे। बैठक के बाद भावी रणनीति तय की जाएगी। उपाध्याय ने सरकार से पीएसयू के निजीकरण के इरादे पर पुनर्विचार करने की मांग की है। बीएमएस की नाराजगी के बीच दो केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और पीयूष गोयल संघ के मुख्यालय गए। समझा जाता है कि यह सरकार की ओर से बीएमएस की नाराजगी दूर करने की पहल थी।

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