भारद्वाजासन की खोज भारद्वाज मुनि द्वारा की गई थी. यह आसान करने में बहुत ही आसान हैं और कई फायदों से भरपूर हैं. इस आसान का लाभ युवा से लेकर वृद्ध तक कोई भी कर सकता हैं. इस आसान को बैठ कर किया जाता हैं.
कैसे करे?
एक दरी या चादर बिछा लें. जमीन पर बैठ कर अपने पैर सामने सीधे और हांथों को बाजू में रखें. घुटनों को मोड़ें और बाएं तरफ कर लें, ध्यान रहे कि आपका पूरा वजन दायें कूल्हों पर हो. आपके दायें पैर की एड़ी को बाएं पैर की जंघा पर टीकाएँ. अब गहरी लाबी सांस लें और रीड की हड्डी को सीधा करें, फिर धीरे धीरे साँस छोडे और शारीर के उपरी भाग को घुटने की विपरीत दिशा में (दायें तरफ) मोड़ते जाएँ. अपना सीधा हाथ आप सहारे के लिए दाई तरफ रख सकते है और उल्टे हाथ को बाएं घुटने पर रख सकते है. हर सांस के साथ रीड की हड्डी को सीधा करते जाएँ और शारीर को मोड़ते जाएँ. अपना सर बाये तरफ मोड़ कर अपने बाएं कंधे के ऊपर से देखें. थोड़ी देर तक सीस अवस्था में रहें. अब धीरे धीरे सांस छोडते ही सामान्य परिथिति में आयें. अब यही प्रकिर्या विपरीत दिशा में करें.
यह सावधानियां रखे.
जिन लोगों को रीड की हड्डी या कमर से सम्बंधित गंभीर समस्या है वे इस आसन को ना करें. इसके अतिरिक्त रक्तचाप की परेशानी, दस्त, नींद ना आना, सर दर्द इन सब परेशानी वाले लोग यह आसन ना करें.
भारद्वाजासन के लाभ:
1. इससे रीड की हड्डी की स्थिति बेहतर होती है.
2. इससे मेरुदंड पर असर होता है और पीठ दर्द या साइटिका जैसी बिमारियों में मदद मिलती है.
3. पाचन सम्बन्धी गड़बड़ियों में भी इसका बहुत ही बढ़िया लाभ मिलता है.
4. इस आसन से आपके मस्तिस्क पर बढ़िया प्रभाव पड़ता है, आप शांति महसूस करते है और शारीर और मन का संतुलन फिर से स्थापित होता है.