पिस्टल लेकर चलती है यह सरपंच, अमेरिका की नौकरी छोड़ बदल दी गाँव की तस्वीर
पिस्टल लेकर चलती है यह सरपंच, अमेरिका की नौकरी छोड़ बदल दी गाँव की तस्वीर
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गाँव में गुंडागर्दी किस प्रकार चलती है यह तो आप जानते ही होंगे. ऐसे में गाँव में सरपंच बनने से लेकर दूसरे अन्य कई कामों के लिए जब कोई महिला कार्यरत होती है तो उसे अपनी सुरक्षा खुद ही करनी पड़ती है. अब आज हम जिनके बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनकी कहानी वाकई में दिल छू लेने वाली है. जी दरअसल हम जिनकी बात कर रहे हैं उनका नाम है भक्ति शर्मा. भक्ति ने साल 2015-16 में अपने पिता और स्थानीय लोगों के कहने पर चुनाव में अपना नामांकन करवया था और उसके बाद भक्ति ने दोगुने वोट से जीत हासिल की थी. इस समय भक्ति को अगर रोल मॉडल कहा जाए तो वह गलत नहीं होगा क्योंकि उनका जो काम है वह काफी सराहनीय है. भक्ति अमेरिका के टेक्सास शहर में अच्छी नौकरी कर रहीं थीं लेकिन उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और उसके बाद ग्राम प्रधान बनकर अपने गांव की पूरी की पूरी तस्वीर बदल डाली. इस समय वह मध्यप्रदेश में एक ग्राम पंचायत की सरपंच है. इसके अलावा एक ख़ास बात यह भी है कि वह अपने साथ हमेशा एक पिस्टल रखती हैं. जी दरअसल उनके गांव में बहुत सारे खास काम होते हैं, और एक सरपंच योजना भी चलती है.. इसी के साथ यहाँ किसान को मुआवजा मिलता है और हर आदमी का बैंक अकाउंट है और इसके साथ हर खेत का मृदा कार्ड.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं भक्ति शर्मा की वो सफलता की कहानी जो हर किसी को प्रेरित करती है.

भक्ति शर्मा ने एमए राजनीति शास्त्र से किया है और इस समय वह वकालत कर रही हैं. भोपाल जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बरखेड़ी अब्दुल्ला ग्राम पंचायत है और इस पंचायत की सरपंच भक्ति शर्मा ट्रैक्टर चलाती हैं, पिस्टल रखती हैं और अपनी गाड़ी से सड़कों पर फर्राटे तक भरती हैं. वह अपने बेहतरीन व्यवहार के लिए किसी भी अधिकारी से बेधड़क बात भी करती हैं. केवल इतना ही नहीं बल्कि भक्ति पुरुषो के जैसे जाता है, खाता है, आता हूँ का प्रयोग करती हैं. उनके पंचायत में कुल 2700 जनसँख्या है जिसमे 1009 वोटर हैं. इसके साथ ही ओडीएफ हो चुकी इस पंचायत में आदर्श आंगनबाड़ी से लेकर हर गली में सोलर स्ट्रीट लाइटें तक लगी है. उन्होंने सरपंच बनते ही सबसे पहला काम गांव में हर बेटी के जन्म पर 10 पौधे लगाना और उनकी माँ को अपनी दो महीने की तनख्वाह देने का फैसला लेकर किया था. आपको बता दें कि उनके गाँव में पहले साल 12 बेटियां पैदा हुई, माँ अच्छे से अपना खानपान कर सके इसलिए भक्ति ने सरपंच की तनख्वाह ‘सरपंच मानदेय’ के नाम से शुरू कर दी.

हाल ही में भक्ति ने कहा,''हमारी पहली ऐसी ग्राम पंचायत बनी जहाँ हर किसान को उसका मुआवजा मिला. हर ग्रामीण का राशनकार्ड, बैंक अकाउंट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाया. इस समय पंचायत का कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं है. महीने में दो से तीन बार फ्री में हेल्थ कैम्प लगता है.'' इसी के साथ भक्ति ने कहा, ''हमारी पहली ऐसी ग्राम पंचायत बनी जहाँ हर किसान को उसका मुआवजा मिला. हर ग्रामीण का राशनकार्ड, बैंक अकाउंट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाया. पहले साल में 113 लोगों को पेंशन दिलानी शुरू की, इस समय पंचायत का कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं है. महीने में दो से तीन बार फ्री में हेल्थ कैम्प लगता है, जिससे पंचायत का हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहे.''

आपको हम यह भी बता दें कि गाँव पंचायत का कोई भी काम भक्ति अपनी मर्जी से नहीं करती हैं. साल 2016-17 में 10 ग्राम सभाएं हो चुकी हैं, और पंचों की बैठक समय-समय पर अलग से होती रहती है. जब भक्ति सरपंच बनी थीं तो इस पंचायत में केवल नौ शौचालय थे लेकिन अब पंचायत ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त हो चुकी है. भक्ति ने कहा कि, “हमने पंचायत में कोई भी काम अलग से नहीं किया, सिर्फ सरकारी योजनाओं को सही से लागू करवाया है. पंच बैठक में जो भी निर्धारित करते हैं वही काम होता है. ढ़ाई साल में बहुत ज्यादा विकास तो नहीं करवा पाए हैं क्योंकि जब हम प्रधान बने थे उस समय गांव की सड़कें ही पक्की नहीं थी, इसलिए पहले जरूरी काम किए.”

इसके अलावा भक्ति का यह भी कहना है, “आगामी छह महीने में इस भवन में डिजिटल क्लासेज शुरू हो जायेंगी, जो पूरी तरह से सोलर से चलेंगी. इसमें महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर, और चरखा केंद्र खुलेगा. किसानों के लिए समय-समय पर बैठकें होंगी, जिससे वो खेती के आधुनिक तरीके सीख सकें. बच्चों के लिए तमाम तरह की गतिविधी होंगी जिससे उन्हें गांव में शहर जैसी सुविधाएँ मिल सकें.” भक्ति अपने काम से लाखों लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुकी है उनकी सफलता की कहानी एक अलग ही महत्व रखती है और हर किसी को प्रेरित करती है. भक्ति आज भी इसी कोशिश में हैं कि पंचायत की हर महिला निडर होकर रात के 12 बजे भी अपनी पंचायत से निकल सके.

भक्ति ने कहा, “पंचायत की हर बैठक में महिलाएं ज्यादा शामिल हों ये मैंने पहली बैठक से ही शुरू किया. मिड डे मील समिति में आठ महिलाएं है. महिलाओं की भागीदारी पंचायत के कामों में ज्यादा से ज्यादा रहे जिससे उनकी जानकारी बढ़े और वो अपने आप को सशक्त महसूस करें.” उनके अनुसार, “जिनके पास 10-12 एकड़ जमीन है, हमारी कोशिश है वो हर एक किसान कम से कम एक एकड़ में जैविक खेती जरुर करें. बहुत ज्यादा संख्या में तो नहीं लेकिन किसानों ने जैविक खेती करने की शुरुआत कर दी है.”

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